नारी शक्ति, मातृत्व शक्ति, नारी दुर्गा भी है, दयावान भी है, वोह घर के चूल्हे चोके के साथ परिवार चलाती है, रिश्ते बनाती है, दयावान होकर भूखों को खाना खिलाती है, तो ज़ुल्म के खिलाफ इंसाफ की जंग में त्रिशूल, तलवार, शस्त्र, शास्त्र, लेकर दुर्गा भी बन जाती है, लेकिन, जब क़लम पकड़ती है, अपने विचार, संस्कार, अनुभवों को क़लमकार बन कर सांझा करती है तो यक़ीनन नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान राष्ट्र के चरित्र का निर्माण करती है, इनकी क़लम, इनके शब्द सांझेदारी, हिस्सेदारी, समझदारी, के अनुभवों, विचारो का मिक्सचर होकर पढ़ने में सुनने में लज़्ज़त देता , सुख देता है, मागर्दर्शन करता है, डॉक्टर प्रभात सिंघल ने इस कठिन काम को 81 मोतियों के विचार, क़लम की सांझेदारी को नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान, पुस्तक में संजोकर एक ऐतिहासिक दस्तावेज रच डाला है, अख्तर खान अकेला एडवोकेट कोटा
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