आपका-अख्तर खान

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30 अक्टूबर 2024

और आख़ेरत को छोड़े बैठे हो

 और आख़ेरत को छोड़े बैठे हो (21)
उस रोज़ बहुत से चेहरे तो तरो ताज़ा बशशाश होंगे (22)
(और) अपने परवरदिगार (की नेअमत) को देख रहे होंगे (23)
और बहुतेरे मुँह उस दिन उदास होंगे (24)
समझ रहें हैं कि उन पर मुसीबत पड़ने वाली है कि कमर तोड़ देगी (25)
सुन लो जब जान (बदन से खिंच के) हँसली तक आ पहुँचेगी (26)
और कहा जाएगा कि (इस वक़्त) कोई झाड़ फूँक करने वाला है (27)
और मरने वाले ने समझा कि अब (सबसे) जुदाई है (28)
और (मौत की तकलीफ़ से) पिन्डली से पिन्डली लिपट जाएगी (29)
उस दिन तुमको अपने परवरदिगार की बारगाह में चलना है (30)

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