और आख़ेरत को छोड़े बैठे हो (21)
उस रोज़ बहुत से चेहरे तो तरो ताज़ा बशशाश होंगे (22)
(और) अपने परवरदिगार (की नेअमत) को देख रहे होंगे (23)
और बहुतेरे मुँह उस दिन उदास होंगे (24)
समझ रहें हैं कि उन पर मुसीबत पड़ने वाली है कि कमर तोड़ देगी (25)
सुन लो जब जान (बदन से खिंच के) हँसली तक आ पहुँचेगी (26)
और कहा जाएगा कि (इस वक़्त) कोई झाड़ फूँक करने वाला है (27)
और मरने वाले ने समझा कि अब (सबसे) जुदाई है (28)
और (मौत की तकलीफ़ से) पिन्डली से पिन्डली लिपट जाएगी (29)
उस दिन तुमको अपने परवरदिगार की बारगाह में चलना है (30)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
30 अक्टूबर 2024
और आख़ेरत को छोड़े बैठे हो
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