फिर वह दिल पसन्द ऐश में होगा (21)
बड़े आलीशान बाग़ में (22)
जिनके फल बहुत झुके हुए क़रीब होंगे (23)
जो कारगुज़ारियाँ तुम गुजि़शता अय्याम मे करके आगे भेज चुके हो उसके सिले में मज़े से खाओ पियो (24)
और जिसका नामए आमाल उनके बाएँ हाथ में दिया जाएगा तो वह कहेगा ऐ काश मुझे मेरा नामए अमल न दिया जाता (25)
और मुझे न मालूल होता कि मेरा हिसाब क्या है (26)
ऐ काष मौत ने (हमेशा के लिए मेरा) काम तमाम कर दिया होता (27)
(अफ़सोस) मेरा माल मेरे कुछ भी काम न आया (28)
(हाए) मेरी सल्तनत ख़ाक में मिल गयी (फिर हुक़्म होगा) (29)
इसे गिरफ़्तार करके तौक़ पहना दो (30
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
05 अक्टूबर 2024
फिर वह दिल पसन्द ऐश में होगा
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)