आपका-अख्तर खान

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23 अक्तूबर 2024

और सुबह की जब रौशन हो जाए

 और हमने जहन्नुम का निगेहबान तो बस फरिश्तों को बनाया है और उनका ये शुमार भी काफ़िरों की आज़माइश के लिए मुक़र्रर किया ताकि एहले किताब (फौरन) यक़ीन कर लें और मोमिनो का ईमान और ज़्यादा हो और अहले किताब और मोमिनीन (किसी तरह) शक न करें और जिन लोगों के दिल में (निफ़ाक का) मर्ज़ है (वह) और काफ़िर लोग कह बैठे कि इस मसल (के बयान करने) से ख़ुदा का क्या मतलब है यूँ ख़ुदा जिसे चाहता है गुमराही में छोड़ देता है और जिसे चाहता है हिदायत करता है और तुम्हारे परवरदिगार के लशकरों को उसके सिवा कोई नहीं जानता और ये तो आदमियों के लिए बस नसीहत है (31)
सुन रखो (हमें) चाँद की क़सम (32)
और रात की जब जाने लगे (33)
और सुबह की जब रौशन हो जाए (34)
कि वह (जहन्नुम) भी एक बहुत बड़ी (आफ़त) है (35)
(और) लोगों के डराने वाली है (36)
(सबके लिए नही बल्कि) तुममें से वह जो शख़्स (नेकी की तरफ़) आगे बढ़ना (37)
और (बुराई से) पीछे हटना चाहे हर शख़्स अपने आमाल के बदले गिर्द है (38)
मगर दाहिने हाथ (में नामए अमल लेने) वाले (39)
(बेहिश्त के) बाग़ों में गुनेहगारों से बाहम पूछ रहे होंगे (40)

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