और हमने जहन्नुम का निगेहबान तो बस फरिश्तों को बनाया है और उनका ये शुमार
भी काफ़िरों की आज़माइश के लिए मुक़र्रर किया ताकि एहले किताब (फौरन) यक़ीन
कर लें और मोमिनो का ईमान और ज़्यादा हो और अहले किताब और मोमिनीन (किसी
तरह) शक न करें और जिन लोगों के दिल में (निफ़ाक का) मर्ज़ है (वह) और काफ़िर
लोग कह बैठे कि इस मसल (के बयान करने) से ख़ुदा का क्या मतलब है यूँ ख़ुदा
जिसे चाहता है गुमराही में छोड़ देता है और जिसे चाहता है हिदायत करता है
और तुम्हारे परवरदिगार के लशकरों को उसके सिवा कोई नहीं जानता और ये तो
आदमियों के लिए बस नसीहत है (31)
सुन रखो (हमें) चाँद की क़सम (32)
और रात की जब जाने लगे (33)
और सुबह की जब रौशन हो जाए (34)
कि वह (जहन्नुम) भी एक बहुत बड़ी (आफ़त) है (35)
(और) लोगों के डराने वाली है (36)
(सबके लिए नही बल्कि) तुममें से वह जो शख़्स (नेकी की तरफ़) आगे बढ़ना (37)
और (बुराई से) पीछे हटना चाहे हर शख़्स अपने आमाल के बदले गिर्द है (38)
मगर दाहिने हाथ (में नामए अमल लेने) वाले (39)
(बेहिश्त के) बाग़ों में गुनेहगारों से बाहम पूछ रहे होंगे (40)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
23 अक्टूबर 2024
और सुबह की जब रौशन हो जाए
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