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23 अक्तूबर 2024

परिवार को सोता छोड़,100 किलोमीटर,ग्राम देइ लेने गये नैत्रदान

 परिवार को सोता छोड़,100 किलोमीटर,ग्राम देइ लेने गये नैत्रदान

2. कोटा से गये,डॉ गौड़ ने देर रात 100 किलोमीटर दूर ग्राम देइ में लिया नैत्रदान



शाइन इंडिया फाउंडेशन के नेत्रदान जागरुकता अभियान से अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी नेत्रदान की अलख होने लगी है । अब जब भी शोक का समय आता है तो,लोग आगे रहकर परिजनों की सहमति लेकर, दिवंगत के नेत्रदान करने के लिए तैयार रहते हैं ।


इसी क्रम में कल नसियाँ कॉलोनी,ग्राम देइ,जिला बूंदी निवासी कमलेश कुमार जिंदल की माताजी मनोहर देवी का रात 1:00 बजे आकस्मिक निधन हुआ । संस्था के नैनवां निवासी ज्योति मित्र महावीर जैन ने उसी समय, परिवार के सदस्यों से सहमति लेकर कोटा स्थित शाइन इंडिया फाउंडेशन के डॉ कुलवंत गौड़ को नेत्रदान लेने देई आने का अनुरोध किया ।


बाहर से कुंडी लगाकर,निकल गये देइ के लिये :


कई बार जब देर रात के केस आते हैं, तब स्वयं की तो नींद खराब होती ही है,पर परिवार के अन्य सदस्यों की भी नींद में परेशानी आती है । ऐसे में डॉ गौड़, परिवार के किसी अन्य सदस्य को परेशानी ना हो,इसलिए चुपचाप उठते हैं,और तैयार होकर बाहर की कुंडी, ताला लगाकर अकेले ही नैत्रदान के लिये निकल जाते हैं ।


डॉ गौड़ इस समय खुद गाड़ी चला कर देइ के लिए रवाना हो गए, सुबह घर के सभी महिलाएं, पुरुष,बच्चों और वृद्ध जनों के बीच में नेत्रदान की प्रक्रिया संपन्न हुई डॉ गौड़ ने प्रक्रिया के दौरान ही नेत्रदान से जुड़ी सभी भ्रांतियां को दूर किया । नितिन के कार्य में कमलेश के अलावा अन्य चार भाई सत्यनारायण, विनोद,बुद्धि प्रकाश,लोकेश और पोते सुनील,मुकेश,हंसमुख विपिन,हनी,वंश की भी सहमति थी ।


आज से 20 वर्ष पूर्व जब मनोहर जी के पति चौथमल जी का निधन कोटा स्थित निजी अस्पताल में हुआ था तब भी परिवार के सभी सदस्यों ने नेत्रदान करवाने की इच्छा जताई थी परंतु उस समय कोई भी संस्था इस तरह का कार्य नहीं करती थी इसलिए नेत्रदान संभव नहीं हो सका । 


डॉ गौड़ ने यह भी बताया कि,देइ क्षेत्र का यह दूसरा नैत्रदान है, इससे पहले भी इसी वर्ष जनवरी माह में उच्छब लाल जैन का भी नेत्रदान हुआ था ।



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