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09 सितंबर 2024

साहित्यिक शब्दों की सर्जरी कर शब्दों की क्रांति के ज़रिए बोझिल माहौल से देश को आज़ाद कराने की जंग में शब्दों के हथियार लेकर कूद पड़े हैं , डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल

 

साहित्यिक शब्दों की सर्जरी कर शब्दों की क्रांति के ज़रिए बोझिल माहौल से देश को आज़ाद कराने की जंग में शब्दों के हथियार लेकर कूद पड़े हैं , डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल
खट्टे , मीठे ,, प्यार ,, नफरत , ईर्ष्या ,द्वेष , लफ्फाजियों से भरे अल्फ़ाज़ों के साहित्यिक , पत्रकारिता के इस दौर में ,, रोज़ लिखे जाने वाले साहित्य को संजोकर , एक किताब में समोने की कोशिशों में कामयाब रहे , विख्यात ,लेखक डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल की संकलित पुस्तक ,, राजस्थान के साहित्यकार , लगभग छप कर तय्यार है , शीघ्र ही यह प्रकाशन एक नए , कलेवर , नए अंदाज़, नए विमोचन व्यवस्था के साथ आम लोगों के हाथों में होगा ,, यूँ तो डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल किसी पहचान के मोहताज नहीं है , पर्यटन , इतिहास , ऐतिहासिक धरोहर , ,संस्कृति कृषि , साहित्य ,. महिला स्वाभिमान सशक्तिकरण , सहित हर मुद्दे पर ज्ञानवर्धक , सारगर्भित पुस्तकें लिखने का जूनून डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल को , सभी दूसरे लेखकों से अलग थलग करके , विशिष्ठ बना देता है , ना काहू से दोस्ती , ना काहू से बेर , जो भी बहतर करे समाज के लिए उसी के शबरी के बेर , की तरह डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल अलग अलग विषयों के बाद , साहित्यिक , पत्रकारिता , समाजसेवा सहित विभिन्न क्षेत्रों अनुकरणीय लेखन , अनुकरणीय कार्य करने वाले लोगों को अलग अलग ज़िलों , गाँव , ढाणी , मेट्रो सिटीज़ से चुन चुन कर अपनी पुस्तक की साहित्यिक सृजन माला में , पिरोकर आप और हमें ,, एक कामयाब पुस्तक के रूप में , समूचे ज्ञान , परिचय के साथ नए अंदाज़ में पेश करते रहे हैं , इस बार , डॉक्टर प्रभात कुमार की प्रकाशित होने वाली पुस्तक राजस्थान के साहियतकार ,,, नए कलेवर , नए अंदाज़ में लगभग छप कर तय्यार है , लेकिन इस पुस्तक का इतिहास भी अलग थलग हो गया है , ,पुस्तक के प्रकाश के पूर्व ही , पाठकों , लेखकों , की इच्छा , जिज्ञासा इस पुस्तक के प्रकाशन के पूर्व ही , पुस्तक में संभावित सामग्री को लेकर , बढ़ गई है , नियमित पाठकों के मन में उक्त पुस्तक के प्रकाशन और प्रकाशित पुस्तक की सामग्री को लेकर गंभीर उत्सुकता का जागरण है , ,डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ने , राजस्थान के सभी नामचीन साहित्यकार , जो राजस्थान में है , या राजस्थान के होकर , किसी दूसरे राज्य में जाकर बस गए हैं , उनकी आत्मा ,, उनका साहित्यिक लगाव आज भी राजस्थान से है , राजस्थान की माटी में उनकी धड़कने हैं , ऐसे सभी पांच दर्जन से भी अधिक साहित्यकारों के फन को , उनकी लेखनी को , उन्ही के चिर परिचित अंदाज़ में , उनके जीवन परिचय , लेखन परिचय लेखन के जोहर , के साथ , डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ने आप और हम से रूबरू कराने की कोशिश की है , आज के इस दौर में जब अल्फ़ाज़ों की अल्फ़ाज़ों से दुश्मनी है , इसमें नफरत है , गुटबाज़ी है , मक्कारी , फरेब , झूंठ , धोखा है , ऐसे माहौल में , सकारात्मक सोच के साथ , डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ने , हर गुट के साहित्यकारों को एक ही मंच पर ,, एक ही पुस्तक प्रकाशन में समामेलित करने की कामयाब रचना की है , ,डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल को उनके इस लेखन के लिए , संकलन , सृजन के लिए , अथक प्रयासों के साथ इस पुस्तक प्रकाशन के ;लिए बधाई मुबारकबाद है , यूँ तो डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल , साहित्यकार भी है , पत्रकार भी है , लेखक भी हैं , इतिहासविद , पर्यटन गाइड लेखक सहित कई प्रतिभाओं के धनी है , लेकिन उनकी यह पुस्तक , एक मिसाल है , ,, आज के युग में साहित्यकारों के अलग अलग मंच , अलग अलग गुट एक दूसरे साहित्यकार को , फूटी आँख नहीं सुहाते हैं , चर्चाओं में हिस्सेदार नहीं होते है ,बहतर से बेहतर लेखन के बाद भी , सिर्फ गुटबाज़ी की वजह से , वोह लेखन शाबाशी से विरत कर दिया जाता है , ऐसे माहौल में , में की सोच को हम में बदल कर एक साहित्यिक समाज का सृजन ,, एक मंच का सृजन डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ने किया है , डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल नियमित रूप से ऐसे सभी साहित्यकारों का परिचय , पहचान , उनके बेहतर कार्यों , लेखन व्वयस्था से , ,सोशल मीडिया के ज़रिये भी लोगों तक नियमित पहुंचा रहे हैं , साहित्यकारों की गुटबाज़ी को ललकार कर झिंझोड़ रहे हैं , उन्हें एक ,होकर देश और समाज के वर्तमान हालातों पर सकारात्मक सोच के साथ , देश को बचाने , ,एक जुटता लाने ,, के प्रयसों में जुट जाने का उनका आह्वान है , वोह कभी तल्ख भी हो जाते है , सख्त भी हो जाते है , तो कभी प्रफुल्लित भी नज़र आते है , डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ने हाल ही में , साहित्य के मामले में भविष्य में प्रकाशित होने वाली , एक पुस्तक के बारे में न्यूनतम शब्दों का आकर्षक सारगर्भित शीर्षक सुझाने का निवेदन भी किया था , ,,,,,कई साहित्यकारों ने अलग अलग शीर्षकों का सुझाव भी दिया है , मेरा भी सुझाव है के ,, सृजन ,, शब्दों की धड़कन , शब्दों की रूहानी आवाज़ , एक शब्द एक क्रान्ति , शब्द एक भाव अनेक , ,शब्द एक अर्थ अलग अलग , शब्द एक हथियार , शब्दों की बौछार ,, जैसे शीर्षक है , जिनमे से कोई एक अगर पसंद आ जाए तो ,,,,, साहित्यकारों के शब्दों को लेकर , वर्तमान हालातों में जिन्हे सुधार करने , एकता , अटूटता के प्रयास करने , नफरत के खिलाफ मोहब्बत की कोशिशों में कामयाब होने के लिए शब्दों का उपयोग करना चाहिए , वोह शब्दों के जादूगर , क़लमकार ,,, अपनी ज़िम्मेदारी वर्तमान छिन्न भिन्न , समाज , नफरत के सौदागरों के बीच सिसकता लोकतत्रं , भ्रष्टाचार के पैरों तले रोंदे जाने वाला आम आदमी ,, शिक्षा, चिकित्सा , न्याय , सामाजिक कल्याण ,, समानता सहित कई मुद्दों पर , जो शब्द ,, मुंह नहीं खोल पा रहे हैं , इन व्यवस्थाओं के खिलाफ शब्द उकेरने से साहित्यकार खौफ खा रहे हैं , वोह सब मिलकर , ऐसे महत्वपूर्ण विषयों , पर एक सामाजिक क्रान्ति के लिए , देश को फिर से इस गंदे ,., नफरत भरे ,,लूट ,, खसोट , लोकतंत्र के हत्यारों के सौदागरों से आज़ाद कराने के लिए शब्दों की क्रान्ति के ज़रिये देश को आज़ाद कराये , सकारात्मक सोच के साथ देश को फिर से सोने की चिड़िया, विश्व गुरु बनाने के प्रयासों में जुटे ऐसी मेरी दुआ है , ,मेरा प्रयास है , ,और डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल भी निश्चित तोर पर , कुछ इसी तरह का सपना लेकर , साहित्यकारों , क़लमकारो , पत्रकारों , समाजसेवकों , विचारकों की खोज में इधर उधर भटककर प्रयासरत है ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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