कोटा एयरपोर्ट की जगह पर अगर मिनी सचिवालय बनाने के लिए आंदोलन नहीं हुआ , तो कोटा की जनता , कांग्रेस , अन्यः संगठन , पत्रकारों , समाजसेवियों , व्यापारियों , को कभी माफ़ नहीं करेगी ,,
कोटा 22 अगस्त ,, पंद्रह सालों के लम्बे संघर्ष और टोका ताकी के बाद कोटा में एयरपोर्ट का सपना पूरा होने जा रहा है , लेकिन मुफ्त का चंदन , घिस मेरे नंदन , तेरा तुझ को अर्पण ,, जैसी कहावतें चरितार्थ होने जा रही हैं , कोटा एयरपोर्ट की ज़मीन पर , गिरिनरी और मिनी सचिवालय के मास्टर प्लान , कांग्रेस सरकार की पूर्व घोषणाओं को , धता बताते हुए , ,केंद्र सरकार ने , कोटा में पुराने एयरपोर्ट की ज़मीन बेचकर ,, कोटा में ही नया एयरपोर्ट बनवाने की घोषणा का एम ओ यूं क्या है , जो कोटा की आम जनता के साथ खुला धोखा है , अगर केंद्र सरकार और राज्य सरकार , भाजपा के नेताओं की कोटा के साथ इस विश्वासघात के खिलाफ कांग्रेस ने कोटा के आम लोगों को लेकर , बढ़ा आंदोलन लेकर इस फैसले को नहीं बदलवाया तो कोटा की आम जनता कांग्रेस और ज़िम्मेदारों को कभी माफ़ नहीं करेगी ,,
कोटा में सांसद और लोकसभा अध्यक्ष ओम जी बिरला ने कोटा में एयरपोर्ट बनाने का पंद्रह साल पहले वायदा किया था , ,इसके पूर्व भी पूर्व सांसद इजय राज सिंह ने प्रयास किये थे , लेकिन नतीजा ज़ीरो रहा , कोटा आई आई टी सर्वेक्षण रैंकिंग में , कनेक्टिविटी के नाम पर कोटा में एयरपोर्ट नहीं होने का बहाना बनाकर , कोटा से आई आई टी जोधपुर ले जाई गई , कोचिंग सिटी कोटा का एयरपोर्ट नहीं होने की वजह से , विकेन्द्रीकरण होता रहा ,, कोटा के कोचिंग गुरु , दूसरे बढे शहरों में , पार्टनर बनाकर ,अपना कोचिंग व्यवसाय ट्रांसफर करते रहे , कोटा में बिल्डिंग , हॉस्टल , प्रोपर्टियां बनाने के बाद , दूसरे शहरों का रुख करने लगे , नतीजा सामने है , कोटा पिछड़ता जा रहा है , खेर यह तो व्यवसाय की बात है , फिर शुरू हो जाएगा , लेकिन राजस्थान के हर बढ़े शहर में , मिनी सचिवालय , की व्यवस्था है , जहां एक ही परिसर में , सभी ज़रूरी कार्यालय , कलेक्ट्रेट , अदालत , पुलिस कार्यालय वगेरा वगेरा बने हुए है , , नतीजा आम जनता को एक ही परिसर में जाकर सभी तरह के काम बिना इधर उधर चक्कर काटे करने का मौक़ा मिलता है , समय भी बचता है , पेट्रोल , डीज़ल भी बचता है , भागादौड़ी की भी बचत होती है , कोटा राजस्थान का ही नहीं , पुरे भारत के बढ़े शहरों में गिना जाता है , यहां उद्योग , पर्यटन , वनविहार , शिक्षा व्यवसाय , कोटा साडी ,, सहित कई ऐसी खूबसूरत खूबियां है , जो कोटा मुख्य आकर्षण है ,अब तो पर्यटकों की संखय में बेतहाशा वृद्धि हो रही है , फिल्म शूटिंग का आकर्षण भी कोटा में बढ़ गया है , ऐसे में सभी पहलुओं पर विचार कर कांग्रेस शासन में कोटा को ,खूबसूरत पर्यटननगरी बनाने में कामयाब रहे , पूर्व मंत्री शान्ति कुमार धारीवाल ने , एयरपोर्ट की ज़मीन राजस्थान सरकार की दावेदारी होने से कागज़ातों सहित सुबूत पेश किये , और, नया एयरपोर्ट घोषणा के मुताबिक़ बनने पर , उक्त कोटा पुराने एयरपोर्ट की ज़मीन पर , कोटा की आम जनता की सुविधाओं को देखते हुए ,, कोटा के लिए आवश्यक एक ही परिसर में सभी कार्यालय बनवाने की घोषणा करते हुए उक्त स्थान पर मिनी सचिवालय बनाने की घोषणा की , इसे नगर विकास न्यास के मास्टर प्लान में भी शामिल करने की घोषणा की ,, यह कोटा के आम लोगों के लिए सुखद निर्णय था , सभी ने स्वागत किया , कोटा के वकील , कोटा की आम जनता ,, जिनका रोज़ मर्रा , कलेक्ट्रेट , अदालत , पुलिस , अधीनस्थ कार्यालय , नगर निगम , नगर विकास न्यास जो अब कोटा विकास प्राधिकरण है , जिला परिषद , वगेरा वगेरा कार्यालयों से वास्ता पढता है , उक्त मिनी सचिवालय मास्टर प्लान के तहत , एक ही परिसर में बनना तय हुए थे , ,भविष्य में कोटा में पुलिस कमिश्नरेट भी बनेगी, ऐसे में ,, कोटा की सभी छोटी बढ़ी अदालतें , , राजस्व न्यायलय , उपभोक्ता फोरम , रजिस्ट्रार , उप रजिस्ट्रार ,, मुख्य चिकित्सा अधिकारी , उप निदेशक चिकित्सा , डी आई जी स्टाम्प , शिक्षा कार्यालय , नगर निगम कोटा उत्तर , कोटा दक्षिण , नगर विकास न्यास , कोटा शहर , कोटा ग्रामीण पुलिस अधीक्षक , आई जी कार्यालय ,, कलेक्ट्रेट , तहसील ,, पंचायत , जिला परिषद , वगेरा वगेरा सभी कार्यालय उक्त एयरपोर्ट की राजस्थान सरकार की ज़मीन पर बनाना प्रस्तावित हुआ था , ऐसा होने पर , कोटा के तीन हज़ार से भी ज़्यादा वकील , लाखों पक्षकार ,, किसान , मज़दूर, , कलेक्ट्रेट में नियमित काम के लिए आने वाले हज़ारों लोग , पुलिस कार्यालयों में जाने वाले , नगर निगम , के डी ऐ ,, अधीनस्थ कार्यालयों में चक्कर लगाने वाले हर व्यक्ति , हर पक्षकार को एक ही परिसर में सरे काम होने की सुविधा मिलेगी , पत्रावलियां भी इधर से उधर जाने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा , लेकिन अफ़सोस ,,. केंद्र सरकार ने कोटा एयरपोर्ट की सिर्फ कागज़ी घोषणा की , कोई अतिरिक्त बजट नहीं दिया , और एक प्रॉपर्टी डीलर की तरह कोटा मिनी सचिवालय की प्रस्तावित भूमि को , बेचकर , नया एयर पोर्ट बनाने का निर्णय लिया , यह कोटा और कोटा के निवासियों के साथ बढ़ा धोखा है ,, ,ऐसे में इस गंभीरता पर , इस ज़रूरत पर , कोटा में विपक्ष की भूमिका निभा रहे सबसे बढ़े दल , कोटा जिला कांग्रेस ने , इस मामले में विरोध नहीं किया , आंदोलन नहीं किया ,, कोटा के वकील , कर्मचारी संगठन , अधिकारी संगठन ,, समाजसेवी संगठन , कोटा की आम जनता का फायदा सोचने वाले , पत्रकार , मीडियाकर्मी , समापदक , रिपोर्टर , बुद्धिजीवी , साहित्यकार , किसान , मज़दूर , कोटा के साथ धोखे के खिलाफ मिनी सचिवालय के पक्ष में सैद्धांतिक रूप से खड़े होने वाले, संघ से जुड़े लोग , भाजपा के कोटा के विकास,और ज़रूरतमंदों के बारे में फ़िक्र रखने वाले नेतागण ,, आम नागरिक सभी को साथ ,लेकर , शांतिपूर्ण अहिंसात्मक , क़ानूनी विरोध प्रदर्शन नहीं किया , तो कोटा की आम जनता कांग्रेस ,को और कोटा के उक्त सभी तरह के संगठन से जुड़े लोगों , पत्रकारों को , मुआफ नहीं करेगी , कोटा में एयरपोर्ट केंद्र सरकार के अतिरिक्त बजट से बनवाना कोटा का अधिकार है , फिर जब कोटा के सांसद लोकसभा अध्यक्ष हो , तो फिर तो यह अधिकार और भी विशिष्ठ हो जाता है ,, कोटा की जनता को , कोटा के मिनी सचिवालय की योजना क़ुर्बान ,कर एयरपोर्ट का फायदा तो गुमराह करने वाला है , ,कोई अहसान नहीं ,, देखते हैं , कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय नेता ,, कोटा के कांग्रेस के दोनों जिला अध्यक्ष , पदाधिकारी , अग्रिम संगठन से जुड़े नेता , विधायक , पूर्व मंत्री , विधायक प्रत्याक्षी , लोकसभा प्रत्याक्षी , इस गंभीर मामले में क्या क़दम उठाते ,है ,, कोटा को ,मिनी सचिवालय के हक़ के साथ , कोटा एयर पोर्ट का हक़ केंद्र से अतिरिक्त बजट लेकर , दिखाते है , या फिर अंडर दी टेबल समझौता , हम तुम तो एक है , , तू मेरी मत कह , में चेरी नहीं कहूं , हर बार की तरह इस बार भी निभाते हैं , ,, अख्तर खान
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