तो (उनको) मेरा अज़ाब और डराना कैसा था (21)
और हमने तो क़ुरआन को नसीहत हासिल करने के वास्ते आसान कर दिया, तो कोई है जो नसीहत हासिल करे (22)
(क़ौम) समूद ने डराने वाले (पैग़म्बरों) को झुठलाया (23)
तो कहने लगे कि भला एक आदमी की जो हम ही में से हो उसकी पैरवीं करें ऐसा करें तो गुमराही और दीवानगी में पड़ गए (24)
क्या हम सबमें बस उसी पर वही नाजि़ल हुयी है (नहीं) बल्कि ये तो बड़ा झूठा तअल्ली करने वाला है (25)
उनको अनक़रीब कल ही मालूम हो जाएगा कि कौन बड़ा झूठा तकब्बुर करने वाला है (26)
(ऐ सालेह) हम उनकी आज़माइश के लिए ऊँटनी भेजने वाले हैं तो तुम उनको देखते रहो और (थोड़ा) सब्र करो (27)
और उनको ख़बर कर दो कि उनमें पानी की बारी मुक़र्रर कर दी गयी है हर (बारी वाले को अपनी) बारी पर हाजि़र होना चाहिए (28)
तो उन लोगों ने अपने रफीक़ (क़ेदार) को बुलाया तो उसने पकड़ कर (ऊँटनी की) कूचें काट डालीं (29)
तो (देखो) मेरा अज़ाब और डराना कैसा था (30)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
23 अगस्त 2024
तो (उनको) मेरा अज़ाब और डराना कैसा था
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