आपका-अख्तर खान

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04 अगस्त 2024

आईने में खुद को निहारना छोड़ दो

 

सुनो ना सजने का मन किया करें तो सज लिया करो ...
आईने में खुद को देखकर हंस लिया करो ....
माना सफेदी छाने लगी है अब बालों पर ....
काले घेरे भी नजर आने लगे हैं आंखों पर ....
तो क्या हुआ मैं खुद को सँवारना छोड़ दूं ....
आईने में खुद को निहारना छोड़ दो ...
लोग क्या कहेंगे इस बात की फिक्र नहीं मुझे ....
ये जिंदगी मेरी है लोगों को क्या मुझसे ....
चेहरे की रंगत जाने लगी है ...
माना झुर्रिया भी आने लगी है ....
शायद बुढ़ापा दस्तक देने लगा है ...
मगर मन तो जवान है ना ...
तो क्या मैं खुद को निहारना छोड़ दूं ....
रोज सुबह आईने में खुद को देखकर मुस्कुराना छोड़ दो ....
हां तुम अभी भी खूबसूरत हो...
यही तो हौसला मुझे अंदर से जगाता है ...
कुछ नया करने को मानता है ...
उम्र से हार नहीं माननी है ...
यह तो एक दिन सब की आनी है ...
जो मन करे वो कर ,लोगों की परवाह मत कर ...
खुद को आईने में निहार निहारा कर ....
तुम अभी भी खूबसूरत हो ये अपने आप को कहा कर ....

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