तो उस दिन झुठलाने वालों की ख़राबी है (11)
जो लोग बातिल में पड़े खेल रहे हैं (12)
जिस दिन जहन्नुम की आग की तरफ़ उनको ढकेल ढकेल ले जाएँगे (13)
(और उनसे कहा जाएगा) यही वह जहन्नुम है जिसे तुम झुठलाया करते थे (14)
तो क्या ये जादू है या तुमको नज़र ही नहीं आता (15)
इसी में घुसो फिर सब्र करो या बेसबरी करो (दोनों) तुम्हारे लिए यकसाँ
हैं तुम्हें तो बस उन्हीं कामों का बदला मिलेगा जो तुम किया करते थे (16)
बेशक परहेज़गार लोग बाग़ों और नेअमतों में होंगे (17)
जो (जो नेअमतें) उनके परवरदिगार ने उन्हें दी हैं उनके मज़े ले रहे हैं और उनका परवरदिगार उन्हें दोज़ख़ के अज़ाब से बचाएगा (18)
जो जो कारगुज़ारियाँ तुम कर चुके हो उनके सिले में (आराम से) तख़्तों पर जो बराबर बिछे हुए हैं (19)
तकिए लगाकर ख़ूब मज़े से खाओ पियो और हम बड़ी बड़ी आँखों वाली हूर से उनका ब्याह रचाएँगे (20)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
12 अगस्त 2024
तो उस दिन झुठलाने वालों की ख़राबी है
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