वह बेशक सरकश और हद से बाहर निकल गया था (31)
और हमने बनी इसराईल को समझ बूझ कर सारे जहाँन से बरगुज़ीदा किया था (32)
और हमने उनको ऐसी निशानियाँ दी थीं जिनमें (उनकी) सरीही आज़माइश थी (33)
ये (कुफ़्फ़ारे मक्का) (मुसलमानों से) कहते हैं (34)
कि हमें तो सिर्फ एक बार मरना है और फिर हम दोबारा (जि़न्दा करके) उठाए न जाएँगे (35)
तो अगर तुम सच्चे हो तो हमारे बाप दादाओं को (जि़न्दा करके) ले आओ (36)
भला ये लोग (क़ूवत में) अच्छे हैं या तुब्बा की क़ौम और वह लोग जो उनसे
पहले हो चुके हमने उन सबको हलाक कर दिया (क्योंकि) वह ज़रूर गुनाहगार थे
(37)
और हमने सारे आसमान व ज़मीन और जो चीज़े उन दोनों के दरमियान में हैं उनको खेलते हुए नहीं बनाया (38)
इन दोनों को हमने बस ठीक (मसलहत से) पैदा किया मगर उनमें के बहुतेरे लोग नहीं जानते (39)
बेशक फ़ैसला (क़यामत) का दिन उन सब (के दोबार जि़न्दा होने) का मुक़र्रर वक़्त है (40)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
06 जुलाई 2024
वह बेशक सरकश और हद से बाहर निकल गया था (
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