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31 जुलाई 2024

लेकिन इन (काफ़िरों) को ताज्जुब है कि उन ही में एक (अज़ाब से) डराने वाला (पैग़म्बर) उनके पास आ गया तो कुफ़्फ़ार कहने लगे ये तो एक अजीब बात है

 सूरए क़ाफ़ मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी (45) पैंतालीस आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
क़ाफ़ क़ुरआन मजीद की क़सम (मोहम्मद पैग़म्बर हैं) (1)
लेकिन इन (काफ़िरों) को ताज्जुब है कि उन ही में एक (अज़ाब से) डराने वाला (पैग़म्बर) उनके पास आ गया तो कुफ़्फ़ार कहने लगे ये तो एक अजीब बात है (2)
भला जब हम मर जाएँगे और (सड़ गल कर) मिटटी हो जाएँगे तो फिर ये दोबार जि़न्दा होना (अक़्ल से) if बईद (बात है) (3)
उनके जिस्मों से ज़मीन जिस चीज़ को (खा खा कर) कम करती है वह हमको मालूम है और हमारे पास तो तहरीरी याददाश्त किताब लौहे महफूज़ मौजूद है (4)
मगर जब उनके पास दीन (हक़) आ पहुँचा तो उन्होने उसे झुठलाया तो वह लोग एक ऐसी बात में उलझे हुए हैं जिसे क़रार नहीं (5)
तो क्या इन लोगों ने अपने ऊपर आसमान की नज़र नहीं की कि हमने उसको क्यों कर बनाया और उसको कैसी ज़ीनत दी और इसमें कहीं शिगाफ्त तक नहीं (6)
और ज़मीन को हमने फैलाया और उस पर बोझल पहाड़ रख दिये और इसमें हर तरह की ख़ुशनुमा चीज़ें उगाई ताकि तमाम रूजू लाने वाले (7)
(बन्दे) हिदायत और इबरत हासिल करें (8)
और हमने आसमान से बरकत वाला पानी बरसाया तो उससे बाग़ (के दरख़्त) उगाए और खेती का अनाज और लम्बी लम्बी खजूरें (9)
जिसका बौर बाहम गुथा हुआ है (10)

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