ऐ ईमानदारों (तुम किसी क़ौम का) कोई मर्द ( दूसरी क़ौम के मर्दों की हँसी न
उड़ाये मुमकिन है कि वह लोग (ख़ुदा के नज़दीक) उनसे अच्छे हों और न औरते
औरतों से (तमसख़ुर करें) क्या अजब है कि वह उनसे अच्छी हों और तुम आपस में
एक दूसरे को मिलने न दो न एक दूसरे का बुरा नाम धरो ईमान लाने के बाद
बदकारी का नाम ही बुरा है और जो लोग बाज़ न आएँ तो ऐसे ही लोग ज़ालिम हैं
(11)
ऐ ईमानदारों बहुत से गुमान (बद) से बचे रहो क्यों कि बाज़ बदगुमानी
गुनाह हैं और आपस में एक दूसरे के हाल की टोह में न रहा करो और न तुममें से
एक दूसरे की ग़ीबत करे क्या तुममें से कोई इस बात को पसन्द करेगा कि अपने
मरे हुए भाई का गोश्त खाए तो तुम उससे (ज़रूर) नफ़रत करोगे और ख़ुदा से डरो,
बेषक ख़ुदा बड़ा तौबा क़ुबूल करने वाला मेहरबान है (12)
लोगों हमने तो तुम सबको एक मर्द और एक औरत से पैदा किया और हम ही ने
तुम्हारे कबीले और बिरादरियाँ बनायीं ताकि एक दूसरे की शिनाख़्त करे इसमें
शक नहीं कि ख़ुदा के नज़दीक तुम सबमें बड़ा इज़्ज़तदार वही है जो बड़ा
परहेज़गार हो बेशक ख़ुदा बड़ा वाकि़फ़कार ख़बरदार है (13)
अरब के देहाती कहते हैं कि हम ईमान लाए (ऐ रसूल) तुम कह दो कि तुम ईमान
नहीं लाए बल्कि (यूँ) कह दो कि इस्लाम लाए हालाँकि ईमान का अभी तक
तुम्हारे दिल में गुज़र हुआ ही नहीं और अगर तुम ख़ुदा की और उसके रसूल की
फरमाबरदारी करोगे तो ख़ुदा तुम्हारे आमाल में से कुछ कम नहीं करेगा - बेशक
ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है (14)
(सच्चे मोमिन) तो बस वही हैं जो ख़ुदा और उसके रसूल पर ईमान लाए फिर
उन्होंने उसमें किसी तरह का शक शुबह न किया और अपने माल से और अपनी जानों
से ख़ुदा की राह में जेहाद किया यही लोग (दावाए ईमान में) सच्चे हैं (15)
(ऐ रसूल इनसे) पूछो तो कि क्या तुम ख़ुदा को अपनी दीदारी जताते हो और
ख़ुदा तो जो कुछ आसमानों मे है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ)
जानता है और ख़ुदा हर चीज़ से ख़बरदार है (16)
(ऐ रसूल) तुम पर ये लोग (इसलाम लाने का) एहसान जताते हैं तुम (साफ़) कह
दो कि तुम अपने इसलाम का मुझ पर एहसान न जताओ (बल्कि) अगर तुम (दावाए ईमान
में) सच्चे हो तो समझो कि, ख़ुदा ने तुम पर एहसान किया कि उसने तुमको ईमान
का रास्ता दिखाया (17)
बेशक ख़ुदा तो सारे आसमानों और ज़मीन की छिपी हुयी बातों को जानता है और जो तुम करते हो ख़ुदा उसे देख रहा है (18
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
30 जुलाई 2024
ऐ ईमानदारों बहुत से गुमान (बद) से बचे रहो क्यों कि बाज़ बदगुमानी गुनाह हैं और आपस में एक दूसरे के हाल की टोह में न रहा करो और न तुममें से एक दूसरे की ग़ीबत करे क्या तुममें से कोई इस बात को पसन्द करेगा कि अपने मरे हुए भाई का गोश्त खाए तो तुम उससे (ज़रूर) नफ़रत करोगे और ख़ुदा से डरो, बेषक ख़ुदा बड़ा तौबा क़ुबूल करने वाला मेहरबान है
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