जो गंवार देहाती (हुदैबिया से) पीछे रह गए अब वह तुमसे कहेंगे कि हमको
हमारे माल और लड़के वालों ने रोक रखा तो आप हमारे वास्ते (ख़ुदा से)
मग़फिरत की दुआ माँगें ये लोग अपनी ज़बान से ऐसी बातें कहते हैं जो उनके
दिल में नहीं (ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगर ख़ुदा तुम लोगों को नुक़सान
पहुँचाना चाहे या तुम्हें फायदा पहुँचाने का इरादा करे तो ख़ुदा के
मुक़ाबले में तुम्हारे लिए किसका बस चल सकता है बल्कि जो कुछ तुम करते हो
ख़ुदा उससे ख़ूब वाकि़फ है (11)
(ये फ़क़त तुम्हारे हीले हैं) बात ये है कि तुम ये समझे बैठे थे कि
रसूल और मोमिनीन हरगिज़ कभी अपने लड़के वालों में पलट कर आने ही के नहीं
(और सब मार डाले जाएँगे) और यही बात तुम्हारे दिलों में भी खप गयी थी और
इसी वजह से, तुम तरह तरह की बदगुमानियाँ करने लगे थे और (आखि़रकार) तुम लोग
आप बरबाद हुए (12)
और जो शख़्स ख़ुदा और उसके रसूल पर ईमान न लाए तो हमने (ऐसे) काफि़रों के लिए जहन्नुम की आग तैयार कर रखी है (13)
और सारे आसमान व ज़मीन की बादशाहत ख़ुदा ही की है जिसे चाहे बख़्ष दे
और जिसे चाहे सज़ा दे और ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है (14)
(मुसलमानों) अब जो तुम (ख़ैबर की) ग़नीमतों के लेने को जाने लगोगे तो
जो लोग (हुदैबिया से) पीछे रह गये थे तुम से कहेंगे कि हमें भी अपने साथ
चलने दो ये चाहते हैं कि ख़ुदा के क़ौल को बदल दें तुम (साफ) कह दो कि तुम
हरगिज़ हमारे साथ नहीं चलने पाओगे ख़ुदा ने पहले ही से ऐसा फ़रमा दिया है
तो ये लोग कहेंगे कि तुम लोग तो हमसे हसद रखते हो (ख़ुदा ऐसा क्या कहेगा)
बात ये है कि ये लोग बहुत ही कम समझते हैं (15)
कि जो गवाँर पीछे रह गए थे उनसे कह दो कि अनक़रीब ही तुम सख़्त जंगजू
क़ौम के (साथ लड़ने के लिए) बुलाए जाओगे कि तुम (या तो) उनसे लड़ते ही
रहोगे या मुसलमान ही हो जाएँगे पस अगर तुम (ख़ुदा का) हुक्म मानोगे तो
ख़ुदा तुमको अच्छा बदला देगा और अगर तुमने जिस तरह पहली दफा सरताबी की थी
अब भी सरताबी करोगे तो वह तुमको दर्दनाक अज़ाब की सज़ा देगा (16)
(जेहाद से पीछे रह जाने का) न तो अन्धे ही पर कुछ गुनाह है और न लँगड़े
पर गुनाह है और न बीमार पर गुनाह है और जो शख़्स ख़ुदा और उसके रसूल का
हुक्म मानेगा तो वह उसको (बेहिष्त के) उन सदाबहार बाग़ों में दाखि़ल करेगा
जिनके नीचे नहरें जारी होंगी और जो सरताबी करेगा वह उसको दर्दनाक अज़ाब की
सज़ा देगा (17)
जिस वक़्त मोमिनीन तुमसे दरख़्त के नीचे (लड़ने मरने) की बैयत कर रहे
थे तो ख़ुदा उनसे इस (बात पर) ज़रूर ख़ुश हुआ ग़रज़ जो कुछ उनके दिलों में
था ख़ुदा ने उसे देख लिया फिर उन पर तस्सली नाजि़ल फ़रमाई और उन्हें उसके
एवज़ में बहुत जल्द फ़तेह इनायत की (18)
और (इसके अलावा) बहुत सी ग़नीमतें (भी) जो उन्होने हासिल की (अता फरमाई) और ख़ुदा तो ग़ालिब (और) हिकमत वाला है (19)
ख़ुदा ने तुमसे बहुत सी ग़नीमतों का वायदा फ़रमाया था कि तुम उन पर
काबिज़ हो गए तो उसने तुम्हें ये (ख़ैबर की ग़नीमत) जल्दी से दिलवा दीं और
(हुबैदिया से) लोगों की दराज़ी को तुमसे रोक दिया और ग़रज़ ये थी कि
मोमिनीन के लिए (क़ुदरत) का नमूना हो और ख़ुदा तुमको सीधी राह पर ले चले
(20)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
27 जुलाई 2024
और जो शख़्स ख़ुदा और उसके रसूल पर ईमान न लाए तो हमने (ऐसे) काफि़रों के लिए जहन्नुम की आग तैयार कर रखी है
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