देश में कुछ तथाकथित लोगों द्वारा ,, मज़हबी उन्माद ,, मज़हबी बटवारा करने की पूरी असफल कोशिशें की ,, देश के लोगों ने चुनाव पूर्व भाषणों , , प्रचार , ,,प्रसार ,आई टी सेल के ज़रिये बनाई गई प्रचार सामग्री में यह सब नंगी आँखों से देखा ,है वोह बात अलग है , निर्वाचन आयोग ,देश के ज़िम्मेदारों ने इसे नज़र अंदाज़ किया हो ,, मीडिया भी इसमें बराबर का शामिल रहा है , हालत यह है , के खबरों का ऐंगल ही बदल गया , सर्वे ,, सर्वे रिपोर्ट्स प्रकाशन , प्रसारण के ऐंगल बदल गए ,,, लेकिन देश के डेढ़ सो करोड़ लोगों ने इस चुनाव में नफरत बाज़ों , मज़हबी उन्माद भड़काने वालों , मज़हब की नफरत , या मज़हब का वास्ता देकर वोट मांगने वालों पर किनारे पर ला खड़ा किया है ,,, राहुल गांधी ने प्रतिपक्ष के नेता के रूप में हालातों का जो पोस्टमार्टम किया ,, उस मामले में , मिडिया ने तो वही किया जो , उसे निर्देश दिया गया , लेकिन लाइव तो सभी ने देखा है , मीडिया का प्रकाशन , प्रसारण तो उन्हें दबाने वाला , झूंठा साबित करने वाला रहा ,, लेकिन पुरानी डिबेट , पुरानी खबरें , पुराने बयांन जब देश देखता है , तो राहुल गांधी ने , व्यक्ति , समाज , पार्टी , और धर्म , सब अलग अलग है ,धर्म शबे बहत्तर है , सबसे निर्मल ,.शान्ति सद्भाव सिखाने वाला है , ,लेकिन इस धर्म की आस्थाओं को तोड़ मरोड़ कर वोट में बदलने के लिए अफवाहें और झूंठ , भड़काऊं योजनाओं के तहत ,रोज़ी , रोटी ,, आम इंसान की ज़रूरतें पूरा करने से दूर रहे लोग , शार्ट कट अपनाकर , सत्त्ता में जो बने रहने की योजना में थे , उन्हें देश की जनता से सबक़ दिया है ,, बताया है , के देश का निर्वाचन ,, भड़काऊ बातों ,नफरतों , धर्म की नफरतों के आधार पर नहीं ,, रोज़ी, रोटी , भाईचारा , सद्भावना ओरिजनल राष्ट्र प्रेम के नाम ओर होता है ,,, खेर छोड़िये राहुल गांधी का संसद में भाषण सटीक और ज़िम्मेदारी वाला रहा , ,खुद कुछ लोगों ने अंतर्मन में झाँका ज़रूर होगा ,चाहे वोह , टोका ताकि करते रहे , बाहर आकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते रहे , मीडिया मैनेजमेंट और गुमराही तथ्यों के साथ , जवाब भी वो खूब देंगे , और फिर प्रचार प्रसार भी करवाएंगे ,तालियां बटोरेंगे , लेकिन देश के डेढ़ सो करोड़ लोगों की अब आँखे खुल रही हैं , उन्हें नफरत नहीं , उन्हें सिर्फ मोहब्बत चाहिए , उन्हें एकता चाहिए , उन्हें राष्ट्रिय सुरक्षा चाहिए , उन्हें इंसाफ चाहिए , उन्हें रोज़ी चाहिए , , रोटी चाहिए , महंगाई से छुटकारा चाहिए , ,दोहरे , तीहरे , जबरिया टेक्सों से मुक्ति चाहिए ,, शिक्षा का टेक्स ,, विदेशी शिक्षा का टेक्स ,पेंशनर से टेक्स , कई ऐसी व्वयस्थायें है ,जिसने देश के लोगों को छुटकारा चाहिए ,, ,,संसद हो , संसद के बाहर हो , कोई भी नेता अगर बकवास करे, मीडिया अगर बकवास लिखे ,बकवास छापे , बकवास प्रचारित , प्रसारित करे , तो उसके लिए सज़ा और जेल चाहिए ,, यक़ीन नहीं हो , तो चौपाल पर बैठकर देश के बारे में आम आदमी की राय जान लीजिये , अपने ही घरों में , जिनके ब्रेन में ,, नफरत नहीं भरी है ,जो देश के लिए , रोज़गार के लिए देश और खुद के भविष्य के लिए संघर्ष कर रहे हैं ,उनसे पूंछ लीजिये , पेपर लीक के उदाहरण देख लीजिये , ,नौकरियों के लिए तरस रहे बेरोज़गारों को देख लीजिये ,एक मास्टर तीन तीन परीक्षाएं देगा , बी ऐड लम्बा अंतराल का करेगा , फिर भी गारंटी नहीं , के वोह नौकरी लगेगा , लेकिन एक आई ऐ एस , , एक परीक्षा , दो परीक्षाओं में , पास , एक नेता एक चुनाव में देश की व्यवस्थाओं का निर्धारण करेगा ,, उसकी कॉलिफिकेशन का निर्धारण नहीं , ,मर्यादाओं का , आचार संहिता का कोई निर्धारण नहीं , ,ऐसे नेताओं के आगे पीछे देश के आई ऐ एस , आई पी एस , सुरक्षा के नाम पर, सलाहकार अधिकारीयों के नाम पर ,चक्क्रर काटते देखे जाते हैं , यह विरोधाभास नहीं , ,तो जनाब सुचियेगा, खुद से पूँछियेगा , देश में सत्ता हथियाने के नाम पर मज़हबी नफरत बाज़ चाहिए , या फिर देश , देश का विकास ,देश की राष्ट्रिय ,एकता भाईचारा , सद्भावना चाहिए , देश की जोंके जो देश को चूस रही हैं , सुख शांति के लिए खतरा बनी हुई हैं , वोह चाहे कोई भी हो , में हूँ , आप हो , किसी भी धर्म का हो, किसी भी मज़हब का हो , समाज का हो ,उसे तो सबक़ सिखाने के लिए सख्त क़ानून होना ही चाहिए , नहीं तो जनता ने अब इन झांसों से मुक्त होकर खुद को , जनता ही जनार्दन है , साबित करने की शुरुआत कर दिखाई है, इसलिए खुद को बदल लो, ,, देश को बचाने की मुख्यधारा में जुड़कर देश को बचाने, देश में सुख शान्ति समृद्धि, रोज़गार के अवसर , महंगाई में नियंत्रण , किसानों , वैज्ञानिकों , ,नौजवानों , के लिए व्यवस्थाएं ,, परीक्षाओं के घोटाले और व्यवसायीकरण पर रोक किषोरात करो ,, ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
02 जुलाई 2024
देश में कुछ तथाकथित लोगों द्वारा ,, मज़हबी उन्माद ,, मज़हबी बटवारा करने की पूरी असफल कोशिशें की ,, देश के लोगों ने चुनाव पूर्व भाषणों , , प्रचार , ,,प्रसार ,आई टी सेल के ज़रिये बनाई गई प्रचार सामग्री में यह सब नंगी आँखों से देखा ,है वोह बात अलग है
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