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09 जून 2024

कंगना रनोट, कुलविंदर की थप्पड़ कहानी फ़िल्म बदसुलूकी से बदज़ुबानी देश के बकवास बाजों को सबक सिखाने, इस मामले में कानून बनाकर दोषी लोगों को जेल भेजने की ज़रूरत राष्ट्र हित में ज़रूरी है,

कंगना रनोट, कुलविंदर की थप्पड़ कहानी फ़िल्म बदसुलूकी से बदज़ुबानी देश के बकवास बाजों को सबक सिखाने, इस मामले में कानून बनाकर दोषी लोगों को जेल भेजने की ज़रूरत राष्ट्र हित में ज़रूरी है,
बदज़ुबानी से बदसुलूकी तक का सफर , यक़ीनन बहुत घृणास्पद खेल है , लेकिन भविष्य में बदज़ुबानी के बदले बद्सलूकियाँ ना हो पाएं इसके लिए , क़ानून तो यह बदज़ुबान प्रभावशाली लोग बनने नहीं देंगे , उसकी पालना होने नहीं देंगे , लेकिन देश में रह रहे संभ्रांत समाज को , बदज़ुबान नेताओं , बकवासबाजी मीडियाकर्मियों को रोकने के लिए कोई हदबंदी करना ही होगी ,, ,, केजरीवाल का कई बार मुंह काला हुआ ,, क्योंकि उनके पास प्रॉपर सिक्युरिटी नहीं है , अगर सिक्युरिटी हो भी तो वोह केंद्र शासित पुलिस की है , चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर फिल्म स्टार , निर्वाचित सांसद कंगना रनोट के साथ कुलविंदर के थप्पड़ की कहानी , ने बदज़ुबानी के खिलाफ बदसुलूकी की एक डिबेट छेड़ दी है ,, किसान और पंजाब के लोग समर्थन कर रहे हैं , जबकि , कंगना, ओर उनकी रिश्तेदार इस घटना के जवाब में प्रेस को फिर पंजाब के आतंकवाद से जोड़कर बयान देती नज़र आई हैं , खेर इस घटना के बाद ,कंगना रनोट तो सरकारी खर्चे पर , हमारे आपके टेक्स के खर्चे पर , सुरक्षा कर्मियों की व्यवस्था कर लेंगी , लेकिन आप ऐसी जुबांन बोलो ही क्यों, जिससे लोग नाराज़ हो , और अगर बोलो , तो सुबूतों के साथ बोलो , ताकि आपका समर्थन बढे , सिर्फ नफरत फैलाने के लिए , सिर्फ सियासी फायदों के लिए , अपने समाज के लोगों को आकर्षित करने के लिए बकवासबाजी ,, देश के संविधान के अनुच्छेद 19 में हरगिज़ नहीं है , हमें आज़ादी से देश में ऐसी बात जिससे किसी का दिल ना दुखे , जिससे किसी की भावनाएं आहत ना हो , बोलने की स्वतंत्रता है , या फिर ऐसा सच जिसके साथ सुबूत हों , तो वोह किसी की भावना भी आहत हो तो बोलने का अधिकार है , लेकिन अनाप , शनाप तो मिडिया बकवास करता है , अख़बार लिखते हैं ,,, प्रतिपक्ष नेता ,, पार्टियों के नेता , छुट भय्ये नेता ,, फिल्मस्टार से कथित रूप से पापुलेरिटी की भीख में , बने नेता प्रधानमंत्री स्तर के लोग भी , प्रचार में , गली छाप लोगों की तरह बकवास बाज़ी करते नज़र आते है , लहजे में गुस्स्सा , गंदगी ,, उकसाने की भाषा , नफरत का भाव , अनर्गल , ,बिना किसी सुबूत के इल्ज़ामात आम बात हो गई , है और इस चुनाव में तो गंदगी की हद ही पार हो गई , देश की संसद में, विधानसभा में बैठे लोग ,बार कॉंसिल्स , देश के ब्यूरोक्रेट्स , पत्रकार ,, पेड़ पत्रकार , तो किसी भी सूरत में , आहत करने वाले बयानों को , बे सिर पैर बयानबाज़ी करने वाले को जेल में नॉनबेलेबल अपराध का क़ानून बनाने की कोई पहल नहीं करेंगे ,, बस बिना किसी सुबूत के चाहे जो कह डालो कोई पूंछने वाला नहीं और फिर ,, खूबसूरत सी दिखने वाली कोई महिला अपनी बदज़ुबान से , अगर बुज़ुर्ग महिलाओं , बेटियों , बहुओं , किसान समाज के समर्थन में परिवार की तरफ से आकर धरने पर बैठने वाली महिलाओं के लिए कह दें की , सो सो रूपये में यह महिलाएं आकर बैठती है , तो मिडिया उनसे सवाल नहीं ,पूंछेगा क़ानून , या पुलिस उनसे इस बेतुके बयान का सुबूत नहीं मांगेगा , अब इल्ज़ाम तो हो गया ,बकवास भी हो गई , एक समूह का अपमान भी हो गया, सियासी फायदा भी उठा ,लिया लेकिन इस झूंठ , इस बकवास के लिए झूंठ पेलने वाले को कोई सज़ा तो मिली नहीं , में यह नहीं कहता के कुलविंदर ने , कंगना के साथ चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर जो किया , वोह सही किया , लेकिन उकसाया किसने , हालात किसने बनाये , उस झूंठे बयान पर क्या अभी तक उन्होंने माफ़ी मांगी , क्या देश , देश के मिडिया ,देश के क़ानून ने उन्हें उस बिना किसी सुबूत के लगाए गए इलज़ाम का कोई जवाब माँगा, माफ़ी मंगवाई , नहीं ना ,उलटे थप्पड़ खाने के बाद , कंगना ने पंजाब के आतंकवाद पर सवाल दागा ,,, खेर पुलिस ने कंगना द्वारा लिखित एफ आई आर नहीं लिखवाने पर भी , थप्पड़ मारने वाली , कुलविंदर के खिलाफ रोका ठोका यानी 323 , 341 आई पी सी में मुक़दमा दर्ज कर जांच शुरू करने को कहा है , एफ आई आर में फरियादी कौन है , एफ आई आर की कॉपी सार्वजनिक करने में ऐतराज़ क्यों है ,, कंगना के साथ वोह शख्स कोंन हैं, जो झपट रहे है, एक महिला के सर पर हाथ मार रहे हैं, इधर जब कंगना खुद कहती है , के मेरे गाल पर थपड मारा , तो रास्ता रोकने वाली बात तो नहीं आई , फिर 341 आई पी सी का संज्ञय अपराध की धारा क्यों लगाई गई , सिर्फ 323 आई पी सी का मामला होता जो रूबरू अदालत होता , असंज्ञ अपराध होता , पुलिस को एफ आई आर काटने का अधिकार ही नहीं है , न्यायलय से 155 {2 } सी आर पी सी की पूर्व स्वीकृति ज़रूरी है , खेर यह सब तो क़ानूनी बाते है , हिरासत में लेने की लगातार खबरें आईं ,,,तो फिर हिरासत में किस अपराध में लिया, अब खुद वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का बयान है , के अभी कुलविंदर को गिरफ्तार नहीं किया है , जांच चल रही है , ,कैमरे देखे जा रहे हैं , कुलविंदर को उनके कृत्य की सज़ा तो मिल गई , लेकिन वोह जो बयान , वोह जो झूंठ , सो सो रूपये लेकर किसने महिलाओं को , धरने पर बैठने के लिए आरोपित कर कहा था , उस इलज़ाम की बिना किसी सुबूत के इलज़ाम लगाने वाले को क्या सज़ा मिली , कुछ नहीं ना , यह एक घटना नहीं है , ऐसे कई इलज़ाम , कई नेताओं , साधू , संत , मौलवी , मुल्लाओं ,,, सहित कई आम लोगों द्वारा रोज़ मर्रा खुले मंच से , ,बिना किसी सुबूत के लोगों पर लगाये जाते रहे हैं , , न्यूज़ चेनल्स पर खुली बकवास चलती है , चुनाव के वक़्त , हिन्दू , मुस्लिम, , झूंठ फरेब , नफरत की बकवास होती है ,, ,ऐसे में ज़रूरी हो गया है के सभी मिलकर इस देश की सुख ,, शांति को बचाएं , देश समृद्ध हो , खुशहाल हो , एक जुट हो , इसके लिए माहौल बनाये , ,देश में , सरकार पर , सांसदों पर , विधायकों पर दबाव बनाये , के देश में ऐसा क़ानून बने ,, कोई भी , किसी के लिए , वर्ग विशेष , समाज के लिए , अगर कोई बात कहता है , आरोप लगाता है , तो उसके पुख्ता सुबूत पहले उसके पास होना चाहियें , और ऐसे बयान देने वाले के बयान की इस क़ानून में , जिनके लिए बयान दिया गया है , उस वर्ग के लोगों की उपस्थिति में क़ानूनी समीक्षा हो , सत्यता की परख हो , सुबूत देखे जाएँ और अगर , ऐसा अनर्गल बयांन देने वाल , इलज़ाम लगाने वाला, राजनितिक फायदा उठाने के लिए लोगों को झूंठ बोलकर भड़काने वाला , कोई शख्स इसके पक्ष में सुबूत देने में नाकामयाब रहता है , तो उसे तुरंत नॉन बेलेबल अपराध में गिरफ्तार कर जेल में भेजने का प्रावधान हो , ऐसे व्यक्ति के लिए , उक्त मुक़दमे की सुनवाई के चलते , किसी भी तरह के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध हो ,, ,अगर मीडिया अख़बार ऐसे बयानों को बढ़ा चढ़ा कर प्रकाशित करता है , खुद भी अपनी तरफ से लिखता है , लाइव डिबेट करवाता है , तो फिर ऐसे मिडिया ,, मीडिया के मालिक , संचालक, इसमें शामिल होने वाले टीम जिसमे चाहे कैमरा मेन हो , सम्पादक हो , रिपोर्टर हो , ऐंकर हो व्यवस्थापक हो , सभी को , अपराधी मानकर , उनके खिलाफ भी मुक़दमा दर्ज होकर गिरफ्तारी हो , अख़बार , न्यूज़ चैनल का लाइसेंस निरस्त हो , ,जागरूकता कार्यक्रम के लिए , फिल्म प्रोड्यूसर्स , लेखकों , ओरिजनल पत्रकारों को , समाजसेवकों को , बदज़ुबानी से बदसुलूकी तक , के शीर्षक से फिल्मे भी बनाना चाहिए और कम से कम इस घटना ,, कंगना रनोंट के सार्थ थप्पड़ वाली घटना पर तो एक फिल्म बनना ही चाहिए , ताकि देश में चल रहे अराजकता का माहौल खत्म हो , लोगों को सोचने समझने पर मजबूर होना पढ़े , के गलत तो गलत है , सभी को सच का साथ देना चाहिए , किसी पर झूंठा इलज़ाम हो , थोथी पब्लिसिटी के लिए झूंठ गढ़ा जाये , किसी को भी चोर, आतंकवादी कहा जाए, वोह भी गलत है , तो ऐसे मामले में क़ानूनी कार्यवाही आवश्यक रूप से होना चाहिए , हिंसा और हमले की घटना हरगिज़ नहीं होना चाहिए , किसी के खिलाफ झूंठ बकवास करना ,और फिर ऐसे शख्स के थप्पड़ मारना दोनों गलत है , गलत है , केंद्र सरकार, चंडीगढ़ पुलिस ने कुलविंदर के गुस्से या आंतरिक सच जो भी हो उसे आतंकवाद से जोड़कर बकवास करने पर मुकदमा कोई कार्यवाही नहीं की है, ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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