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17 जून 2024

सहमी-सहमी सी मेरी कौम की हालत क्यों है

 

सहमी-सहमी सी मेरी कौम की हालत क्यों है
खौफ रब का नही तो औरों से दहशत क्यों है ?
हमने सोचा ही नही अंजाम कभी भी अपना
काश हम सोचते गैरों की कयादत क्यों है ?
दिल में रहता है खुदा, कभी ग़ौर तो कर
दर बदर तुझको भटकने की ज़रूरत क्यों है ?
अपनी हालत के हम खुद ही है ज़िम्मेदार
बेवजह गैरों से फिर हमको शिकायत क्यों है ?
जिसके कुरआन-ओ-हदीस हों रहबर "अफसोस"
आज उस कौम की किस्मत मे ज़लालत क्यों है?
एक वहशी के लिए दिल मे मुहब्बत है अगर
फिर इंसान से इंसान को इतनी नफरत क्यों है?
वाकई हमको अगर ताकत-ओ-कुव्वत है नसीब
फिर अबाबीलों के लश्कर की ज़रूरत क्यों है?
अल्लाह करेगा मदद बस तू इख़लास से उठ
बातिल खुद ही मिट जाएगा,दिल मे घबराहट क्यों है???

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