वह लोग कहेंगे कि ऐ हमारे परवरदिगार तू हमको दो बार मार चुका और दो बार
जि़न्दा कर चुका तो अब हम अपने गुनाहों का एक़रार करते हैं तो क्या (यहाँ
से) निकलने की भी कोई सबील है (11)
ये इसलिए कि जब तन्हा ख़ुदा पुकारा जाता था तो तुम ईन्कार करते थे और
अगर उसके साथ शिर्क किया जाता था तो तुम मान लेते थे तो (आज) ख़ुदा की
हुकूमत है जो आलीशान (और) बुज़ुर्ग है (12)
वही तो है जो तुमको (अपनी क़ुदरत की) निशानियाँ दिखाता है और तुम्हारे
लिए आसमान से रोज़ी नाजि़ल करता है और नसीहत तो बस वही हासिल करता है जो
(उसकी तरफ़) रूझू करता है (13)
पस तुम लोग ख़़ुदा की इबादत को ख़ालिस करके उसी को पुकारो अगरचे कुफ़्फ़ार बुरा मानें (14)
ख़़ुदा तो बड़ा आली मरतबा अर्श का मालिक है, वह अपने बन्दों में से जिस
पर चाहता है अपने हुक्म से ‘वही’ नाजि़ल करता है ताकि (लोगों को) मुलाकात
(क़यामत) के दिन से डराएं (15)
जिस दिन वह लोग (क़ब्रों) से निकल पड़ेंगे (और) उनको कोई चीज़ खुदा से
पोषीदा नहीं रहेगी (और निदा आएगी) आज किसकी बादशाहत है ( फिर ख़़ुदा ख़़ुद
कहेगा ) ख़ास ख़ुदा की जो अकेला (और) ग़ालिब है (16)
आज हर शख़्स को उसके किए का बदला दिया जाएगा, आज किसी पर कुछ भी
ज़़ुल्म न किया जाएगा बेशक ख़ुदा बहुत जल्द हिसाब लेने वाला है (17)
(ऐ रसूल) तुम उन लोगों को उस दिन से डराओ जो अनक़रीब आने वाला है जब
लोगों के कलेजे घुट घुट के (मारे डर के) मुँह को आ जाएंगें (उस वक़्त) न तो
सरकशों का कोई सच्चा दोस्त होगा और न कोई ऐसा सिफारिशी जिसकी बात मान ली
जाए (18)
ख़़ुदा तो आँखों की दुज़दीदा निगाह को भी जानता है और उन बातों को भी जो (लोगों के) सीनों में पोशीदा है (19)
और ख़़ुदा ठीक ठीक हुक्म देता है, और उसके सिवा जिनकी ये लोग इबादत
करते हैं वह तो कुछ भी हुक्म नहीं दे सकते, इसमें शक नहीं कि ख़़ुदा सुनने
वाला देखने वाला है (20)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
09 जून 2024
वह लोग कहेंगे कि ऐ हमारे परवरदिगार तू हमको दो बार मार चुका और दो बार जि़न्दा कर चुका तो अब हम अपने गुनाहों का एक़रार करते हैं तो क्या (यहाँ से) निकलने की भी कोई सबील है
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