ग़रज़ उनके आमाल के बुरे नतीजे उन्हें भुगतने पड़े और उन (कुफ़्फ़ारे
मक्का) में से जिन लोगों ने नाफरमानियाँ की हैं उन्हें भी अपने अपने आमाल
की सज़ाएँ भुगतनी पड़ेंगी और ये लोग (ख़ुदा को) आजिज़ नहीं कर सकते (51)
क्या उन लोगों को इतनी बात भी मालूम नहीं कि ख़ुदा ही जिसके लिए चाहता है
रोज़ी फराख़ करता है और (जिसके लिए चाहता है) तंग करता है इसमें शक नहीं
कि क्या इसमें इमानदार लोगों के (कुदरत की) बहुत सी निशानियाँ हैं (52)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ मेरे (ईमानदार) बन्दों जिन्होने (गुनाह करके)
अपनी जानों पर ज़्यादतियाँ की हैं तुम लोग ख़ुदा की रहमत से नाउम्मीद न
होना बेशक ख़ुदा (तुम्हारे) कुल गुनाहों को बख़्श देगा वह बेशक बड़ा
बख़्शने वाला मेहरबान है (53)
और अपने परवरदिगार की तरफ रूजू करो और उसी के फरमाबरदार बन जाओ (मगर) उस
वक़्त के क़ब्ल ही कि तुम पर जब अज़ाब आ नाजि़ल हो (और) फिर तुम्हारी मदद न
की जा सके (54)
और जो जो अच्छी बातें तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम पर नाजि़ल हई हैं
उन पर चलो (मगर) उसके क़ब्ल कि तुम पर एक बारगी अज़ाब नाजि़ल हो और तुमको
उसकी ख़बर भी न हो (55)
(कहीं ऐसा न हो कि) (तुममें से) कोई शख़्स कहने लगे कि हाए अफ़सोस मेरी
इस कोताही पर जो मैने ख़ुदा (की बारगाह) का तक़र्रुब हासिल करने में की और
मैं तो बस उन बातों पर हँसता ही रहा (56)
या ये कहने लगे कि अगर ख़ुदा मेरी हिदायत करता तो मैं ज़रूर परहेज़गारों में से होता (57)
या जब अज़ाब को (आते) देखें तो कहने लगे कि काश मुझे (दुनिया में) फिर दोबारा जाना मिले तो मैं नेकी कारों में हो जाऊँ (58)
उस वक़्त ख़ुदा कहेगा ( हाँ ) हाँ तेरे पास मेरी आयतें पहुँची तो तूने
उन्हें झुठलाया और शेख़ी कर बैठा और तू भी काफिरों में से था (अब तेरी एक न
सुनी जाएगी) (59)
और जिन लोगों ने ख़ुदा पर झूठे बोहतान बाँधे - तुम क़यामत के दिन देखोगे
उनके चेहरे सियाह होंगें क्या गुरूर करने वालों का ठिकाना जहन्नुम में नहीं
है (ज़रूर है) (60)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
06 जून 2024
ग़रज़ उनके आमाल के बुरे नतीजे उन्हें भुगतने पड़े और उन (कुफ़्फ़ारे मक्का) में से जिन लोगों ने नाफरमानियाँ की हैं उन्हें भी अपने अपने आमाल की सज़ाएँ भुगतनी पड़ेंगी और ये लोग (ख़ुदा को) आजिज़ नहीं कर सकते
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)