हम अपने पैग़म्बरों की और इमान वालों की दुनिया की जि़न्दगी में भी ज़रूर
मदद करेंगे और जिस दिन गवाह (पैग़म्बर फ़रिश्ते गवाही को) उठ खड़े होंगे
(51)
(उस दिन भी) जिस दिन ज़ालिमों को उनकी माज़ेरत कुछ भी फायदे न देगी और
उन पर फिटकार (बरसती) होगी और उनके लिए बहुत बुरा घर (जहन्नुम) है (52)
और हम ही ने मूसा को हिदायत (की किताब तौरेत) दी और बनी इसराईल को (उस) किताब का वारिस बनाया (53)
जो अक़्लमन्दों के लिए (सरतापा) हिदायत व नसीहत है (54)
(ऐ रसूल) तुम (उनकी शरारत) पर सब्र करो बेशक ख़़ुदा का वायदा सच्चा है,
और अपने (उम्मत की) गुनाहों की माफी माँगो और सुबह व शाम अपने परवरदिगार
की हम्द व सना के साथ तसबीह करते रहो (55)
जिन लोगों के पास (ख़़ुदा की तरफ से) कोई दलील तो आयी नहीं और (फिर) वह
ख़़ुदा की आयतों में (ख़्वाह मा ख़्वाह) झगड़े निकालते हैं, उनके दिल में
बुराई (की बेजां हवस) के सिवा कुछ नहीं हालाँकि वह लोग उस तक कभी पहुँचने
वाले नहीं तो तुम बस ख़़ुदा की पनाह माँगते रहो बेशक वह बड़ा सुनने वाला
(और) देखने वाला है (56)
सारे आसमान और ज़मीन का पैदा करना लोगों के पैदा करने की ये निस्बत
यक़ीनी बड़ा (काम) है मगर अक्सर लोग (इतना भी) नहीं जानते (57)
और अँधा और आँख वाला (दोनों) बराबर नहीं हो सकते और न मोमिनीन जिन्होने
अच्छे काम किए और न बदकार (ही) बराबर हो सकते हैं बात ये है कि तुम लोग
बहुत कम ग़ौर करते हो, कयामत तो ज़रूर आने वाली है (58)
इसमें किसी तरह का षक नहीं मगर अक्सर लोग (इस पर भी) ईमान नहीं रखते (59)
और तुम्हारा परवरदिगार इरशाद फ़रमाता है कि तुम मुझसे दुआएं माँगों मैं
तुम्हारी (दुआ) क़ुबूल करूँगा जो लोग हमारी इबादत से अकड़ते हैं वह
अनक़रीब ही ज़लील व ख़्वार हो कर यक़ीनन जहन्नुम वासिल होंगे (60)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
12 जून 2024
हम अपने पैग़म्बरों की और इमान वालों की दुनिया की जि़न्दगी में भी ज़रूर मदद करेंगे और जिस दिन गवाह (पैग़म्बर फ़रिश्ते गवाही को) उठ खड़े होंगे
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