क्या तुमने इस पर ग़ौर नहीं किया कि खु़दा ही ने आसमान से पानी बरसाया फिर
उसको ज़मीन में चश्में बनाकर जारी किया फिर उसके ज़रिए से रंग बिरंग (के
गल्ले) की खेती उगाता है फिर (पकने के बाद) सूख जाती है तो तुम को वह ज़र्द
दिखायी देती है फिर खु़दा उसे चूर-चूर भूसा कर देता है बेशक इसमें
अक़्लमन्दों के लिए (बड़ी) इबरत व नसीहत है (21)
तो क्या वह शख़्स जिस के सीने को खु़दा ने (क़ुबूल) इस्लाम के लिए कुशादा
कर दिया है तो वह अपने परवरदिगार (की हिदायत) की रौशनी पर (चलता) है मगर
गुमराहों के बराबर हो सकता है अफसोस तो उन लोगों पर है जिनके दिल खु़दा की
याद से (ग़ाफि़ल होकर) सख़्त हो गए हैं (22)
ये लोग सरीही गुमराही में (पड़े) हैं ख़ुदा ने बहुत ही अच्छा कलाम (यावी
ये) किताब नाजि़ल फरमाई (जिसकी आयतें) एक दूसरे से मिलती जुलती हैं और (एक
बात कई-कई बार) दोहराई गयी है उसके सुनने से उन लोगों के रोंगटे खड़े हो
जाते हैं जो अपने परवरदिगार से डरते हैं फिर उनके जिस्म नरम हो जाते हैं और
उनके दिल खु़दा की याद की तरफ बा इतमेनान मुतावज्जे हो जाते हैं ये खु़दा
की हिदायत है इसी से जिसकी चाहता है हिदायत करता है और खु़दा जिसको गुमराही
में छोड़ दे तो उसको कोई राह पर लाने वाला नहीं (23)
तो क्या जो शख़्स क़यामत के दिन अपने मुँह को बड़े अज़ाब की सिपर बनाएगा
(नाज़ी के बराबर हो सकता है) और ज़ालिमों से कहा जाएगा कि तुम (दुनिया में)
जैसा कुछ करते थे अब उसके मज़े चखो (24)
जो लोग उनसे पहले गुज़र गए उन्होंने भी (पैग़म्बरों को) झुठलाया तो उन पर अज़ाब इस तरह आ पहुँचा कि उन्हें ख़बर भी न हुयी (25)
तो खु़दा ने उन्हें (इसी) दुनिया की जि़न्दगी में रूसवाई की लज़्ज़त चखा
दी और आख़ेरत का अज़ाब तो यक़ीनी उससे कहीं बढ़कर है काश ये लोग ये बात
जानते (26)
और हमने तो इस क़ुरान में लोगों के (समझाने के) वास्ते हर तरह की मिसाल बयान कर दी है ताकि ये लोग नसीहत हासिल करें (27)
(हम ने तो साफ और सलीस) एक अरबी कु़रान (नाजि़ल किया) जिसमें ज़रा भी कजी (पेचीदगी) नहीं (28)
ताकि ये लोग (समझकर) खु़दा से डरे ख़ुदा ने एक मिसाल बयान की है कि एक
शख़्स (ग़ुलाम) है जिसमें कई झगड़ालू साझी हैं और एक ज़ालिम है कि पूरा एक
शख़्स का है उन दोनों की हालत यकसाँ हो सकती हैं (हरगिज़ नहीं)
अल्हमदोलिल्लाह मगर उनमें अक्सर इतना भी नहीं जानते (29)
(ऐ रसूल) बेशक तुम भी मरने वाले हो (30)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
03 जून 2024
तो क्या वह शख़्स जिस के सीने को खु़दा ने (क़ुबूल) इस्लाम के लिए कुशादा कर दिया है तो वह अपने परवरदिगार (की हिदायत) की रौशनी पर (चलता) है मगर गुमराहों के बराबर हो सकता है अफसोस तो उन लोगों पर है जिनके दिल खु़दा की याद से (ग़ाफि़ल होकर) सख़्त हो गए हैं
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