अल-सुबह,100 km दूर,कोटा से आई टीम ने लिया नैत्रदान
2. टोंक जिले में भी बढ़ने नैत्रदान,अल-सुबह कोटा से आयी टीम ने लिया नैत्रदान
नेत्रदान
के क्षेत्र में कार्य कर रही राज्य की अग्रणी समाज सेवी संस्था शाइन
इंडिया फाउंडेशन का कार्य हाडोती क्षेत्र के बाद अब टोंक जिले में भी बढ़ने
लगा है संस्था का मुख्य उद्देश्य राज्य में से करने की जनता को दूर करना
और नेत्रदान के कार्य को जन अभियान बनाना है । यही कारण है कि,13 वर्षों से
कोटा शहर से 200 km के दायरे तक,नैत्रदान क लिये कॉल आने पर संस्था के
सदस्य 24 घंटे तैयार रहते हैं । बीते 2 वर्षों में यह चौथा नैत्रदान है ।
शनिवार
देर रात माल मोहल्ला,सदर बाजार,देवली निवासी नितिन मंगल की माता जी
सावित्री मंगल का आकस्मिक निधन हुआ । धर्म परायण,शांत स्वभाव,विनम्र
व्यवहार व ईश्वर में आस्था रखने वाली सावित्री ने 3 वर्ष पहले अपने परिवार
की सदस्या स्व० सीता कुमारी के निधन पर उनके नेत्रदान से प्रेरित होकर बेटे
नितिन, बेटी नेहा और मेघा को कह दिया था कि,जब भी मेरा देवलोक गमन होता है
तो मेरे नेत्रदान जरूर करवाना ।
नितिन को अपनी माता जी की यह इच्छा
देर रात को 2:00 बजे ध्यान में आयी उन्होंने तुरंत ही अपने जीजा जी अरुण
और मनोज को मम्मी के नैत्रदान करवाने के लिए कहा , रात 3:00 बजे शाइन
इंडिया फाउंडेशन के डॉ कुलवंत गौड़ को कोटा में संपर्क किया गया, हिंदी रात
ड्राइवर की कोई व्यवस्था न होने के कारण,डॉ गौड़ स्वयं नेत्रदान वाहिनी को
लेकर डेढ़ घंटे में पहुंच गए और परिवार की सभी सदस्यों के बीच में नेत्रदान
की प्रक्रिया को संपन्न किया ।
नैत्रदान प्रक्रिया के उपरांत घर
में उपस्थित सभी करीबी रिश्तेदारों व नितिन के दोस्तों को डॉ गौड़ ने
नेत्रदान से जुड़ी सभी जरूरी बातों को बताया, और अनुरोध किया कि,सभी के
सम्मिलित प्रयासों से देवली में नेत्रदान के प्रतिशत को बढ़ाया जाये ।
नेत्रदान के उपरांत संस्था की ओर से नेत्रदानी परिवार को प्रशस्ति पत्र
भेंट किया गया।
नेत्रदान करवाने के लिए जरूरी सावधानियां:
नेत्रदानी की आंखों को पूरा बंद कर, उन पर गिला रुमाल रख दें,और पंखा बंद कर दें ।
कौन कर सकता है नेत्रदान
2
वर्ष से लेकर 80 वर्ष तक की उम्र के स्वस्थ व्यक्ति का नेत्रदान मृत्यु के
बाद 6 से 8 घंटे में और सर्दियों में 12 घंटे तक संभव है । शव को डीप
फ्रिज या बर्फ की सिल्ली पर रखने पर भी ,16 घंटे तक नेत्रदान संभव है ।
चश्मा लगे हुये और मोतियाबिंद के ऑपरेशन हो चुके व्यक्ति,थाइरॉएड, ब्लड
प्रेशर,डायबिटीज व हार्ट के मरीज का भी नेत्रदान संभव है ।
याद रखें
नेत्रदान
रक्त-विहीन और 10 मिनट में संपन्न होने वाली प्रक्रिया है,जिसमें ना तो
चेहरे पर कोई विकृति आती है,ना कोई रक्त आता है । प्रक्रिया में आँख के ठीक
सामने का पारदर्शी हिस्सा,जिसे पुतली (कॉर्निया) कहा जाता है,वही लिया
जाता है, पूरी आँख को नहीं लिया जाता है ।
अग्रवाल समाज बढ़ायेगा नैत्रदान जागरूकता
नेत्रदान
की प्रक्रिया के दौरान नितिन के काफी मित्र कुशाग्र,
राहुल,सुरेश,सौरभ,आशीष,प्रमोद वहाँ मौजूद थे,जिन्होंने नैत्रदान प्रक्रिया
को समझा और संस्था सदस्यों को विश्वास दिलाया कि,जल्दी ही वह इस कार्य को
समाज और शहर में बढ़ाने के लिए अपना पूरा प्रयास करेंगे ।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
15 जून 2024
अल-सुबह,100 km दूर,कोटा से आई टीम ने लिया नैत्रदान
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