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31 मई 2024

फरमाया तुझे एक वक़्त मुअय्यन के दिन तक की मोहलत दी गयी

 शैतान ने अज्र की परवरदिगार तू मुझे उस दिन तक की मोहलत अता कर जिसमें सब लोग (दोबारा) उठा खड़े किए जायेंगे(79)
फरमाया तुझे एक वक़्त मुअय्यन के दिन तक की मोहलत दी गयी (80)
वह बोला तेरी ही इज़्ज़त व जलाल की क़सम (81)
उनमें से तेरे ख़ालिस बन्दों के सिवा सब के सब को ज़रूर गुमराह करूँगा (82)
खु़दा ने फरमाया तो (हम भी) हक़ बात (कहे देते हैं) (83)
और मैं तो हक़ ही कहा करता हूँ (84)
कि मैं तुझसे और जो लोग तेरी ताबेदारी करेंगे उन सब से जहन्नुम को ज़रूर भरूँगा (85)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं तो तुमसे न इस (तबलीग़े रिसालत) की मज़दूरी माँगता हूँ और न मैं (झूठ मूठ) बनावट करने वाला हूँ (86)
ये (क़ुरान) तो बस सारे जहाँन के लिए नसीहत है (87)
और कुछ दिनों बाद तुमको इसकी हक़ीकत मालूम हो जाएगी

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