फिर एक दूसरे की तरफ मुतावज्जे पाकर बाहम बातचीत करते करते उनमें से एक कहने वाला बोल उठेगा कि (दुनिया में) मेरा एक दोस्त था (51)
और (मुझसे) कहा करता था कि क्या तुम भी क़यामत की तसदीक़ करने वालों में हो (52)
(भला जब हम मर जाएँगे) और (सड़ गल कर) मिट्टी और हड्डी (होकर) रह
जाएँगे तो क्या हमको दोबारा जि़न्दा करके हमारे (आमाल का) बदला दिया जाएगा
(53)
(फिर अपने बेहश्त के साथियों से कहेगा) (54)
तो क्या तुम लोग भी (मेरे साथ उसे झांक कर देखोगे) ग़रज़ झाँका तो उसे बीच जहन्नुम में (पड़ा हुआ) देखा (55)
(ये देख कर बेसाख्त) बोल उठेगा कि खु़दा की क़सम तुम तो मुझे भी तबाह करने ही को थे (56)
और अगर मेरे परवरदिगार का एहसान न होता तो मैं भी (इस वक़्त) तेरी तरह जहन्नुम में गिरफ़्तार किया गया होता (57)
(अब बताओ) क्या (मैं तुम से न कहता था) कि हम को इस पहली मौत के सिवा फिर मरना नहीं है (58)
और न हम पर (आख़ेरत) में अज़ाब होगा (59)
(तो तुम्हें यक़ीन न होता था) ये यक़ीनी बहुत बड़ी कामयाबी है (60)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
07 मई 2024
(फिर अपने बेहश्त के साथियों से कहेगा)
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