फिर अब तो लोगों पर हमारे परवरदिगार का (अज़ाब का) क़ौल पूरा हो गया कि अब हम सब यक़ीनन अज़ाब का मज़ा चखेंगे (31)
हम खु़द गुमराह थे तो तुम को भी गुमराह किया (32)
ग़रज़ ये लोग सब के सब उस दिन अज़ाब में शरीक होगें (33)
और हम तो गुनाहगारों के साथ यूँ ही किया करते हैं ये लोग ऐसे (शरीर) थे (34)
कि जब उनसे कहा जाता था कि खु़दा के सिवा कोई माबूद नहीं तो अकड़ा करते थे (35)
और ये लोग कहते थे कि क्या एक पागल शायर के लिए हम अपने माबूदों को छोड़ बैठें (अरे कम्बख्तों ये शायर या पागल नहीं) (36)
बल्कि ये तो हक़ बात लेकर आया है और (अगले) पैग़म्बरों की तसदीक़ करता है (37)
तुम लोग (अगर न मानोगे) तो ज़रूर दर्दनाक अज़ाब का मज़ा चखोगे (38)
और तुम्हें तो उसके किये का बदला दिया जाएगा जो (जो दुनिया में) करते रहे (39)
मगर खु़दा के बरगुजीदा बन्दे (40)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
06 मई 2024
हम खु़द गुमराह थे तो तुम को भी गुमराह किया
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