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04 मई 2024

बल्कि तुम (उन कुफ़्फ़ार के इन्कार पर) ताज्जुब करते हो और वह लोग (तुमसे) मसख़रापन करते हैं

 मगर जो (शैतान शाज़ व नादिर फरिश्तों की) कोई बात उचक ले भागता है तो आग का दहकता हुआ तीर उसका पीछा करता है (10)
तो (ऐ रसूल) तुम उनसे पूछो तो कि उनका पैदा करना ज़्यादा दुश्वार है या उन (मज़कूरा) चीज़ों का जिनको हमने पैदा किया हमने तो उन लोगों को लसदार मिट्टी से पैदा किया (11)
बल्कि तुम (उन कुफ़्फ़ार के इन्कार पर) ताज्जुब करते हो और वह लोग (तुमसे) मसख़रापन करते हैं (12)
और जब उन्हें समझाया जाता है तो समझते नहीं हैं (13)
और जब किसी मौजिजे़ को देखते हैं तो (उससे) मसख़रापन करते हैं (14)
और कहते हैं कि ये तो बस खुला हुआ जादू है (15)
भला जब हम मर जाएँगे और ख़ाक और हड्डियाँ रह जाएँगे (16)
तो क्या हम या हमारे अगले बाप दादा फिर दोबारा क़ब्रों से उठा खड़े किए जाँएगे (17)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि हाँ (ज़रूर उठाए जाओगे) (18)
और तुम ज़लील होगे और वह (क़यामत) तो एक ललकार होगी फिर तो वह लोग फ़ौरन ही (आँखे फाड़-फाड़ के) देखने लगेंगे (19)
और कहेंगे हाए अफसोस ये तो क़यामत का दिन है (20)

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