सूरए अल अहज़ाब मदीने में नाजि़ल हुआ और उसकी (73) तेहत्तर आयतें हैं।
खुदा के नाम से शुरू करता हूँ, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है।
ऐ नबी खुदा ही से डरते रहो और काफिरों और मुनाफिक़ों की बात न मानो इसमें शक नहीं कि खु़दा बड़ा वाकि़फकार हकीम है। (1)
और तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम्हारे पास जो “वही” की जाती है (बस)
उसी की पैरवी करो तुम लोग जो कुछ कर रहे हो खु़दा उससे यक़ीनी अच्छा तरह
आगाह है। (2)
और खु़दा ही पर भरोसा रखो और खु़दा ही कारसाजी के लिए काफी है (3)
ख़ुदा ने किसी आदमी के सीने में दो दिल नहीं पैदा किये कि (एक ही वक़्त
दो इरादे कर सके) और न उसने तुम्हारी बीवियों को जिन से तुम जे़हार करते हो
तुम्हारी माएँ बना दी और न उसने तुम्हारे लै पालकों को तुम्हारे बेटे बना
दिये। ये तो फ़क़त तुम्हारी मुँह बोली बात (और ज़ुबानी जमा खर्च) है और
(चाहे किसी को बुरी लगे या अच्छी) खु़दा तो सच्ची कहता है और सीधी राह
दिखाता है। (4)
लै पालकों का उनके (असली) बापों के नाम से पुकारा करो यही खु़दा के
नज़दीक बहुत ठीक है हाँ अगर तुम लोग उनके असली बापों को न जानते हो तो
तुम्हारे दीनी भाई और दोस्त हैं (उन्हें भाई या दोस्त कहकर पुकारा करो) और
हाँ इसमें भूल चूक जाओ तो अलबत्ता उसका तुम पर कोई इल्ज़ाम नहीं है मगर जब
तुम दिल से जानबूझ कर करो (तो ज़रूर गुनाह है) और खु़दा तो बड़ा बख्शने
वाला मेहरबान है। (5)
नबी तो मोमिनीन से खु़द उनकी जानों से भी बढ़कर हक़ रखते हैं (क्योंकि वह
गोया उम्मत के मेहरबान बाप हैं) और उनकी बीवियाँ (गोया) उनकी माएँ हैं और
मोमिनीन व मुहाजिरीन में से (जो लोग बाहम) क़राबतदार हैं। किताबें खु़दा की
रूह से (ग़ैरों की निस्बत) एक दूसरे के (तर्के के) ज्यादा हक़दार हैं मगर
(जब) तुम अपने दोस्तों के साथ सुलूक करना चाहो (तो दूसरी बात है) ये तो
किताबे (खु़दा) में लिखा हुआ (मौजूद) है (6)
और (ऐ रसूल वह वक़्त याद करो) जब हमने और पैग़म्बरों से और ख़ास तुमसे और
नूह और इबराहीम और मूसा और मरियम के बेटे ईसा से एहदो पैमाने लिया और उन
लोगों से हमने सख़्त एहद लिया था (7)
ताकि (क़यामत के दिन) सच्चों (पैग़म्बरों) से उनकी सच्चाई तबलीग़े रिसालत
का हाल दरियाफ्त करें और काफिरों के वास्ते तो उसने दर्दनाक अज़ाब तैयार
ही कर रखा है। (8)
(ऐ ईमानदारों खु़दा की) उन नेअमतों को याद करो जो उसने तुम पर नाजि़ल की
हैं (जंगे खन्दक में) जब तुम पर (काफिरों का) लशकर (उमड़ के) आ पड़ा तो
(हमने तुम्हारी मदद की) उन पर आँधी भेजी और (इसके अलावा फरिश्तों का ऐसा
लश्कर भेजा) जिसको तुमने देखा तक नहीं और तुम जो कुछ कर रहे थे खु़दा उसे
खू़ब देख रहा था (9)
जिस वक़्त वह लोग तुम पर तुम्हारे ऊपर से आ पड़े और तुम्हारे नीचे की तरफ
से भी पिल गए और जिस वक़्त (उनकी कसरत से) तुम्हारी आँखें ख़ैरा हो गयीं
थी और (ख़ौफ से) कलेजे मुँह को आ गए थे और ख़ुदा पर तरह-तरह के (बुरे)
ख़्याल करने लगे थे। (10)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
09 अप्रैल 2024
और खु़दा ही पर भरोसा रखो और खु़दा ही कारसाजी के लिए काफी है
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