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12 मार्च 2024

यक़ीनन जो भी होता है, वोह अल्लाह के हुक्म से होता है

 
यक़ीनन जो भी होता है, वोह अल्लाह के हुक्म से होता है , मोत , ज़िंदगी , इज़्ज़त , ज़िल्ल्त ,,कामयाबी , खुशहाली , तनाव ,,सुकून , सभी तो अल्लाह के हुक्म से है , लेकिन कुछ जुस्तजू खुद को भी करना होती है, कुछ भी हो जाए , इंसान की फितरत हमेशा खुद को पारसा बना कर।  अल्लाह को ,तो कभी बेजान चीज़ों को दोष देकर खुश हो लेता है,,,,,, कमोबेश , एक उदाहरण से सभी समझ में आ जाएगा , ज़रा सोचिये , कोई चलते चलते घर में ही  गिर गया, उसके लग गई , हड्डी पर भी चोट आ गयी , तो सीधा इलज़ाम किस पर , चप्पल सही नहीं थी, मार्बल चिकना होगा , टाइल्स चिकनी होगी , पानी नीचे फेल गया होगा , ,तो खुद की लापरवाही कुछ नहीं , अल्लाह की मर्ज़ी कुछ नहीं , बस दोष चप्पल पर , दोष मार्बल , या टाइल्ज़ पर , या फिर मार्बल पर गिरे पानी पर , ,,वगेरा वगेरा तो जनाब यही तो सब कुछ है , ज़िंदगी जीने का नाम है , लेकिन मज़हबी ऐतेबार से , अलग अलग मज़हबों के धर्म ग्रंथ , चाहे वोह क़ुरआन हो , चाहे बाइबिल हो , चाहे वाहे गुरु वाणी हो , चाहे जेन दर्शन हो , चाहे  क़ुरान ,, चाहे गीता हो ,  सभी में मानव धर्म है , लेकिन उसे कोन जीता है , तो फिर क़यामत  प्रलय दुःख ,, तकलीफ तो होगी ही , ,खेर अल्लाह रमज़ानुल मुबारक के इस माह में  ,,, ईद की खुशियों की तरह , मुल्क में दुनिया में प्यार मोहब्बत खुलूस बिखेर दे , आमीन ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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