मृदुभाषी शिक्षिका कविता का एंबुलेंस रुकवा कर संपन्न हुआ नेत्रदान
नेत्रदान किसी को नई जिंदगी देने का बहुत बड़ा माध्यम है, साथ ही यह मृतक परिजन की आंखों को अमर बनाने का एक प्रयास है, यही कारण है कि भवानीमंडी में लगातार नेत्रदान के प्रति सकारात्मकता बढ़ती जा रही है, एवं तीन दिनों में दूसरा नेत्रदान भवानीमंडी से हुआ है।
शाइन इंडिया फाउंडेशन के ज्योति मित्र कमलेश दलाल ने बताया कि राजस्थान टेक्सटाइल मिल में आईटी डिपार्टमेंट के डिप्टी मैनेजर पंकज तोषनीवाल की धर्मपत्नी कविता माहेश्वरी शिक्षिका की हृदयाघात से मृत्यु होने के बाद परिवारजन पार्थिव शरीर को भवानीमंडी से पैतृक निवास भीलवाड़ा लेकर जा रहे थे, रास्ते में अवधेशकुमार शर्मा, विपिन शौत्रीय एवं मारवाड़ी महिला मंडल की प्रवक्ता सुधा फलेट की प्रेरणा से मृतका के परिवार ने नेत्रदान का निर्णय लिया ।
नेत्रदान की सहमति के लिए कविता के पिताजी दिनेश झंवर और ससुर अशोक तोषनीवाल से पूछा गया तो उन्होंने भी नेत्रदान में तुरंत अपनी सहमति दी,वह भी चाहते थे कि उनकी बेटी किसी की आंखों में रोशनी बन कर रह सके,इसीलिए उन्होंने भीलवाड़ा लाने तक का इंतजार ना करते हुए बीच रास्ते में ही कोटा में नेत्रदान करवाने के लिए दामाद पंकज को सहमति दी । सहमति मिलते ही ,नेत्रदान प्रभारी कमलेश दलाल के द्धारा सूचना देने पर शाइन इंडिया फाउंडेशन के डॉ कुलवंत गौड के द्धारा बीच राह में नेत्रदान प्राप्त किया गया।
जिस समय परिवार में नेत्रदान के प्रति सहमति बनी, उस समय तक एंबुलेंस कोटा तक पहुंच चुकी थी,सूचना मिलने पर एंबुलेंस को वही रोक कर डॉ कुलवंत गौड ने स्कूटर से कोटा के हैंगिंग ब्रिज पर जाकर एंबुलेंस में ही नेत्रदान प्रक्रिया संपन्न करके कॉर्निया प्राप्त किया।
मृतक कविता माहेश्वरी का कॉर्निया अच्छा पाया गया है, इसे आई बैंक जयपुर भिजवा दिया गया है,जहां यह 2 से अधिक नेत्रहीनों को नई रोशनी दे सकेगा। डॉ कुलवंत गौड़ के अनुसार जब नेत्रदाता की उम्र यदि कम है, तो ऐसे में आधुनिक चिकित्सा पद्धति से मृतक के कॉर्निया को अलग-अलग परतों में विभाजित कर एक कॉर्निया की पाँचो परतों को पाँच अलग-अलग लोगों को ट्रांसप्लांट कर दिया जा सकता है।
भारत विकास परिषद और शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से यह भवानीमंडी क्षेत्र से प्राप्त 107 वाँ नेत्रदान है, जोकि पूरे झालावाड़ जिले में सबसे अधिक है एवं कोटा संभाग में कोटा के बाद सर्वाधिक है, जिसके माध्यम से 214 से अधिक नेत्रहीनों को नई रोशनी दी जा चुकी है, वही यह तीन दिनों के अंदर दूसरा नेत्रदान प्राप्त किया गया है, इससे पहले बुधवार को देवीप्रसाद जी जायसवाल का नेत्रदान हुआ है।
37 वर्षीय मृतका कविता माहेश्वरी स्थानीय निजी विद्यालय में शिक्षिका के पद पर कार्यरत थी थी, विनम्र स्वभाव और हसमुख मिजाज की कविता के व्यवहार आचरण को न सिर्फ स्टाफ के सभी लोग पसंद करते थे,बल्कि विद्यालय में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी भी काफी पसंद करते थे । ऐसे में जब विद्यालय स्टाफ एवं विद्यार्थियों को जैसे ही शोक का समाचार प्राप्त हुआ तो सभी को गहरा आघात हुआ ।
प्रेषक.
शाइन इंडिया फाउंडेशन
8386900102
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