सूरए अर रूम मक्के में नाजि़ल हुआ और इसकी साठ (60) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरु करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला हैं
अलिफ़ लाम मीम (1)
(यहाँ से) बहुत क़रीब के मुल्क में रोमी (नसारा एहले फ़ारस आतिश परस्तों से) हार गए (2)
मगर ये लोग अनक़रीब ही अपने हार जाने के बाद चन्द सालों में फिर (एहले फ़ारस पर) ग़ालिब आ जाएँगे (3)
क्योंकि (इससे) पहले और बाद (ग़रज़ हर ज़माने में) हर अम्र का एख़्तेयार
ख़ुदा ही को है और उस दिन ईमानदार लोग ख़ुदा की मदद से खुश हो जाएँगे (4)
वह जिसकी चाहता है मदद करता है और वह (सब पर) ग़ालिब रहम करने वाला है (5)
(ये) ख़़ुदा का वायदा है) ख़़ुदा अपने वायदे के खि़लाफ नहीं किया करता मगर अकसर लोग नहीं जानते हैं (6)
ये लोग बस दुनियावी जि़न्दगी की ज़ाहिरी हालत को जानते हैं और ये लोग आख़ेरत से बिल्कुल ग़ाफिल हैं (7)
क्या उन लोगों ने अपने दिल में (इतना भी) ग़ौर नहीं किया कि ख़ुदा ने
सारे आसमान और ज़मीन को और जो चीजे़ उन दोनों के दरमेयान में हैं बस
बिल्कुल ठीक और एक मुक़र्रर मियाद के वास्ते पैदा किया है और कुछ शक नहीं
कि बहुतेरे लोग तो अपने परवरदिगार की (बारगाह) के हुज़ूर में (क़यामत) ही
को किसी तरह नहीं मानते (8)
क्या ये लोग रुए ज़मीन पर चले फिरे नहीं कि देखते कि जो लोग इनसे पहले
गुज़र गए उनका अन्जाम कैसा (बुरा) हुआ हांलाँकि जो लोग उनसे पहले क़ूवत में
भी कहीं ज़्यादा थे और जिस क़दर ज़मीन उन लोगों ने आबाद की है उससे कहीं
ज़्यादा (ज़मीन की) उन लोगों ने काष्त भी की थी और उसको आबाद भी किया था और
उनके पास भी उनके पैग़म्बर वाज़ेए व रौशन मौजिज़े लेकर आ चुके थे (मगर उन
लोगों ने न माना) तो ख़ुदा ने उन पर कोई ज़ुल्म नहीं किया मगर वह लोग
(कुफ़्र व सरकशी से) आप अपने ऊपर ज़ुल्म करते रहे (9)
फिर जिन लोगों ने बुराई की थी उनका अन्जाम बुरा ही हुआ क्योंकि उन लोगों
ने ख़ुदा की आयतों को झुठलाया था और उनके साथ मसखरा पन किया किए (10)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
29 मार्च 2024
(यहाँ से) बहुत क़रीब के मुल्क में रोमी (नसारा एहले फ़ारस आतिश परस्तों से) हार गए
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