उस वक़्त अज़ाब की तैयारी हुयी) और जब हमारे भेजे हुए फ़रिश्ते इबराहीम के
पास (बुढ़ापे में बेटे की) खुशखबरी लेकर आए तो (इबराहीम से) बोले हम लोग
अनक़रीब इस गाँव के रहने वालों को हलाक करने वाले हैं (क्योंकि) इस बस्ती
के रहने वाले यक़ीनी (बड़े) सरकश हैं (31)
(ये सुन कर) इबराहीम ने कहा कि इस बस्ती में तो लूत भी है वह फ़रिश्ते
बोले जो लोग इस बस्ती में हैं हम लोग उनसे खूब वाकि़फ़ हैं हम तो उनको और
उनके लड़के बालों को यक़ीनी बचा लेंगे मगर उनकी बीबी को वह (अलबता) पीछे रह
जाने वालों में होगीं (32)
और जब हमारे भेजे हुए फ़रिश्ते लूत के पास आए लूत उनके आने से ग़मग़ीन हुए
और उन (की मेहमानी) से दिल तंग हुए (क्योंकि वह नौजवान खू़बसूरत मर्दों की
सरूत में आए थे) फ़रिश्ते ने कहा आप ख़ौफ न करें और कुढ़े नही हम आपको और
आपके लड़के बालों को बचा लेगें मगर आपकी बीबी (क्योंकि वह पीछे रह जाने
वालो से होगी) (33)
हम यक़ीनन इसी बस्ती के रहने वालों पर चूँकि ये लोग बदकारियाँ करते रहे एक आसमानी अज़ाब नाजि़ल करने वाले हैं (34)
और हमने यक़ीनी उस (उलटी हुयी बस्ती) में से समझदार लोगों के वास्ते (इबरत की) एक वाज़ेए व रौशन निशानी बाक़ी रखी है (35)
और (हमने) मदियन के रहने वालों के पास उनके भाई शुएब को पैग़म्बर बनाकर
भेजा उन्होंने (अपनी क़ौम से) कहा ऐ मेरी क़ौम ख़ुदा की इबादत करो और रोज़े
आखे़रत की उम्मीद रखो और रुए ज़मीन में फ़साद न फैलाते फिरो (36)
तो उन लोगों ने शुऐब को झुठलाया पस ज़लज़ले (भूचाल) ने उन्हें ले डाला- तो वह लोग अपने घरों में औंधे ज़ानू के बल पड़े रह गए (37)
और क़ौम आद और समूद को (भी हलाक कर डाला) और (ऐ एहले मक्का) तुम को तो
उनके (उजड़े हुए) घर भी (रास्ता आते जाते) मालूम हो चुके और शैतान ने उनकी
नज़र में उनके कामों को अच्छा कर दिखाया था और उन्हें (सीधी) राह (चलने) से
रोक दिया था हालांकि वह बड़े होशियार थे (38)
और (हम ही ने) क़ारुन व फ़िरऔन व हामान को भी (हलाक कर डाला)हलांकि उन
लोगों के पास मूसा वाजे़ए व रौशन मौजिज़े लेकर आए फिर भी ये लोग रुए ज़मीन
में सरकशी करते फिरे और हमसे (निकल कर) कहीं आगे न बढ़ सके (39)
तो हमने सबको उनके गुनाह की सज़ा में ले डाला चुनांन्चे उनमे से बाज़ तो
वह थे जिन पर हमने पत्थर वाली आँधी भेजी और बाज़ उनमें से वह थे जिन को एक
सख़्त चिंघाड़ ने ले डाला और बाज़ उनमें से वह थे जिनको हमने ज़मीन मे धॅसा
दिया और बाज़ उनमें से वह थे जिन्हें हमने डुबो मारा और ये बात नहीं कि
ख़ुदा ने उन पर ज़ुल्म किया हो बल्कि (सच यूँ है कि) ये लोग ख़ुद (ख़़ुदा
की नाफ़रमानी करके) आप अपने ऊपर ज़ुल्म करते रहे (40
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
26 मार्च 2024
उस वक़्त अज़ाब की तैयारी हुयी) और जब हमारे भेजे हुए फ़रिश्ते इबराहीम के पास (बुढ़ापे में बेटे की) खुशखबरी लेकर आए तो (इबराहीम से) बोले हम लोग अनक़रीब इस गाँव के रहने वालों को हलाक करने वाले हैं (क्योंकि) इस बस्ती के रहने वाले यक़ीनी (बड़े) सरकश हैं
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