और हमने उनको (गुमराहों का) पेशवा बनाया कि (लोगों को) जहन्नुम की तरफ
बुलाते है और क़यामत के दिन (ऐसे बेकस होगें कि) उनको किसी तरह की मदद न दी
जाएगी (41)
और हमने दुनिया में भी तो लानत उन के पीछे लगा दी है और क़यामत के दिन उनके चेहरे बिगाड़ दिए जायेंगे (42)
और हमने बहुतेरी अगली उम्मतों को हलाक कर डाला उसके बाद मूसा को किताब
(तौरैत) अता की जो लोगों के लिए अजसरतापा बसीरत और हिदायत और रहमत थी ताकि
वह लोग इबरत व नसीहत हासिल करें (43)
और (ऐ रसूल) जिस वक़्त हमने मूसा के पास अपना हुक्म भेजा था तो तुम (तूर
के) मग़रिबी जानिब मौजूद न थे और न तुम उन वाक़्यात को चश्मदीद देखने वालों
में से थे (44)
मगर हमने (मूसा के बाद) बहुतेरी उम्मतें पैदा की फिर उन पर एक ज़माना
दराज़ गुज़र गया और न तुम मदैन के लोगों में रहे थे कि उनके सामने हमारी
आयते पढ़ते (और न तुम को उन के हालात मालूम होते) मगर हम तो (तुमको)
पैग़म्बर बनाकर भेजने वाले थे (45)
और न तुम तूर की किसी जानिब उस वक़्त मौजूद थे जब हमने (मूसा को) आवाज़
दी थी (ताकि तुम देखते) मगर ये तुम्हारे परवरदिगार की मेहरबानी है ताकि तुम
उन लोगों को जिनके पास तुमसे पहले कोई डराने वाला आया ही नहीं डराओ ताकि
ये लोग नसीहत हासिल करें (46)
और अगर ये नही होता कि जब उन पर उनकी अगली करतूतों की बदौलत कोई मुसीबत
पड़ती तो बेसाख़्ता कह बैठते कि परवरदिगार तूने हमारे पास कोई पैग़म्बर
क्यों न भेजा कि हम तेरे हुक्मों पर चलते और इमानदारों में होते (तो हम
तुमको न भेजते ) (47)
मगर फिर जब हमारी बारगाह से (दीन) हक़ उनके पास पहुँचा तो कहने लगे जैसे
(मौजिज़े) मूसा को अता हुए थे वैसे ही इस रसूल (मोहम्मद) को क्यों नही दिए
गए क्या जो मौजिज़े इससे पहले मूसा को अता हुए थे उनसे इन लोगों ने इन्कार न
किया था कुफ़्फ़ार तो ये भी कह गुज़रे कि ये दोनों के दोनों (तौरैत व
कु़रआन) जादू हैं कि बाहम एक दूसरे के मददगार हो गए हैं (48)
और ये भी कह चुके कि हम एब के मुन्किर हैं (ऐ रसूल) तुम (इन लोगों से) कह
दो कि अगर सच्चे हो तो ख़ुदा की तरफ से एक ऐसी किताब जो इन दोनों से
हिदायत में बेहतर हो ले आओ (49)
कि मै भी उस पर चलूँ फिर अगर ये लोग (इस पर भी) न मानें तो समझ लो कि ये
लोग बस अपनी हवा व हवस की पैरवी करते है और जो शख़्स ख़ुदा की हिदायत को
छोड़ कर अपनी हवा व हवस की पैरवी करते है उससे ज़्यादा गुमराह कौन होगा
बेशक ख़़ुदा सरकश लोगों को मंजि़ले मक़सूद तक नहीं पहुँचाया करता (50)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
20 मार्च 2024
और हमने उनको (गुमराहों का) पेशवा बनाया कि (लोगों को) जहन्नुम की तरफ बुलाते है और क़यामत के दिन (ऐसे बेकस होगें कि) उनको किसी तरह की मदद न दी जाएगी
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