और अगर हम चाहते तो हर बस्ती में ज़रुर एक (अज़ाबे ख़ुदा से) डराने वाला पैग़म्बर भेजते (51)
(तो ऐ रसूल) तुम काफिरों की इताअत न करना और उनसे कु़रआन के (दलाएल) से खू़ब लड़ों (52)
और वही तो वह (ख़ुदा) है जिसने दरयाओं को आपस में मिला दिया (और बावजूद
कि) ये खालिस मज़ेदार मीठा है और ये बिल्कुल खारी कड़वा (मगर दोनों को
मिलाया) और दोनों के दरम्यिान एक आड़ और मज़बूत ओट बना दी है (कि गड़बड़ न
हो) (53)
और वही तो वह (ख़ुदा) है जिसने पानी (मनी) से आदमी को पैदा किया फिर उसको
ख़ानदान और सुसराल वाला बनाया और (ऐ रसूल) तुम्हारा परवरदिगार हर चीज़ पर
क़ादिर है (54)
और लोग (कुफ़्फ़ारे मक्का) ख़ुदा को छोड़कर उस चीज़ की परसतिश करते हैं
जो न उन्हें नफा ही दे सकती है और न नुक़सान ही पहुँचा सकती है और काफिर
(अबूजहल) तो हर वक़्त अपने परवरदिगार की मुख़ालेफत पर ज़ोर लगाए हुए है
(55)
और (ऐ रसूल) हमने तो तुमको बस (नेकी को जन्नत की) खुशबरी देने वाला और (बुरों को अज़ाब से) डराने वाला बनाकर भेजा है (56)
और उन लोगों से तुम कह दो कि मै इस (तबलीगे़ रिसालत) पर तुमसे कुछ
मज़दूरी तो माँगता नहीं हूँ मगर तमन्ना ये है कि जो चाहे अपने परवरदिगार तक
पहुँचने की राह पकडे़ (57)
और (ऐ रसूल) तुम उस (ख़ुदा) पर भरोसा रखो जो ऐसा जि़न्दा है कि कभी नहीं
मरेगा और उसकी हम्द व सना की तस्बीह पढ़ो और वह अपने बन्दों के गुनाहों की
वाकि़फ कारी में काफी है (वह ख़ुद समझ लेगा) (58)
जिसने सारे आसमान व ज़मीन और जो कुछ उन दोनों में है छहः दिन में पैदा
किया फिर अर्श (के बनाने) पर आमादा हुआ और वह बड़ा मेहरबान है तो तुम उसका
हाल किसी बाख़बर ही से पूछना (59)
और जब उन कुफ्फारों से कहा जाता है कि रहमान (ख़ुदा) को सजदा करो तो कहते
हैं कि रहमान क्या चीज़ है तुम जिसके लिए कहते हो हम उस का सजदा करने लगें
और (इससे) उनकी नफ़रत और बढ़ जाती है (60) सजदा
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
01 मार्च 2024
और अगर हम चाहते तो हर बस्ती में ज़रुर एक (अज़ाबे ख़ुदा से) डराने वाला पैग़म्बर भेजते
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