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01 मार्च 2024

अंदर चल रही नेत्रदान की प्रक्रिया को बाहर टीवी में देख सकेंगे,संभागीय आयुक्त ने किया लोकार्पण

 अंदर चल रही नेत्रदान की प्रक्रिया को बाहर टीवी में देख सकेंगे,संभागीय आयुक्त ने किया लोकार्पण
2. देश की पहली नैत्रदान वाहिनी,घर के अंदर चल रही नेत्रदान प्रक्रिया को बाहर खड़े लोग देख सकेंगे

प्रदेश में नेत्रदान के कार्यों को तेजी से जन-अभियान बनाने में शाइन इंडिया फाउंडेशन का सहयोग अत्यंत सराहनीय हैं । हाडोती में आई बैंक सोसायटी राजस्थान जयपुर से अधिकृत और उनके मार्गदर्शन में कार्यरत संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन व ईबीएसआर बीबीजे चेप्टर का नेत्रदान अभियान, पूरे हाडोती में घर-घर जा पहुंचा है ।

संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक डॉ कुलवंत गौड़ बताया कि, संस्था ने प्रारंभ से ही नेत्रदान-अभियान को हर उम्र और वर्ग के लोगों के लिए अलग-अलग तरह के रोचक और अनोखे प्रयोगों से जागरूक करने का प्रयास किया है । इसी कारण से बहुत ही कम समय में हाडोती संभाग में नैत्रदान अभियान एक जन अभियान बन गया ।

रोचक जागरूकता अभियान के अंतर्गत ही संस्था को नेत्रदान कार्यों को ग्रामीण स्तर तक पहुंचाने के लिये, कुन्हाड़ी निवासी,आशीष शर्मा (प्रवासी भारतीय-न्यूजीलैंड) एवं उनके मित्र नवनीत शर्मा ने एक मारुति इको गाड़ी उपहार में भेंट की थी,जिसका मुख्य कार्य कोटा शहर और उसके आसपास के 200 किलोमीटर के दायरे में नेत्रदान जागरुकता, नेत्र संग्रहण, कॉर्निया की अंधता को मिटाने के लिए किया जा रहा है ।

नवाचार के नए प्रयास के अंतर्गत इस इको गाड़ी के पीछे एक टीवी को लगाया गया है, जिसमें ऐसी व्यवस्था रखी है कि, जब भी नेत्रदान के लिए टीम घर पर पहुंचकर नेत्रदान की प्रक्रिया करेगी, तो वह सारी प्रक्रिया बाहर खड़े लोग बहुत आसानी से टीवी पर देख सकेंगे । इस नए प्रयोग के पीछे कारण यह है कि,लोग नेत्रदान प्रक्रिया को आज भी पूरी तरह नहीं समझते हैं,इस लाइफ सर्जरी के माध्यम से नैत्रदान से जुड़ी उनकी सभी तरह की भ्रांतियां दूर हो सकेगी। डॉ गौड़ ने बताया की,पूरे भारतवर्ष में यह ऐसी गाड़ी है ,जिसमें अंदर की  नेत्रदान की प्रक्रिया को बाहर देखा जा सकेगा ।

संभागीय आयुक्त उर्मिला राजोरिया ने,कार्यालय परिसर में, ज्योति रथ में उपस्थित इस नवाचार प्रयास का फीता काटकर उद्घाटन किया और भी संस्था के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि ,नेत्रदान,अंगदान और देहदान आने वाले समय की जरूरत है ,इस बारे में प्रारंभ से ही परिवार के सदस्यों को जागरूक रहना चाहिए । चिकित्सा के क्षेत्र में यह एक चमत्कार से कम नहीं है कि, मौत के करीब आया हुआ एक व्यक्ति,ब्रेनडेड व्यक्ति के अंगदान के माध्यम से पुनः जीवन पा सकता है। एक ब्रेन डेड व्यक्ति जाते-जाते नौ लोगों के जीवन को प्रकाशित कर जाता है ।

संस्था संस्थापक डॉ संगीता गौड़ और उपाध्यक्ष विकास दीक्षित ने कहा कि, हमारे नेत्रदान अभियान के अनवरत प्रयासों से अब परिजन स्वतः ही,अपने दिवंगत परिजन के नेत्रदान करवाने के लिए कॉल कर लेते हैं । प्रारंभ में, 1 वर्ष में सिर्फ दो दिवंगत के नेत्रदान प्राप्त हुए थे,और आज सभी के सम्मिलित प्रयासों से प्रतिदिन दो व्यक्तियों के नेत्रदान प्राप्त हो रहे हैं । इसे पता चलता है कि, लोगों में नेत्रदान के प्रति जागरूकता का प्रतिशत काफी बढ़ा है । संस्था की ओर से ज्योति मित्र भरत गोयल और टिंकू ओझा का भी सहयोग रहा ।

उद्घाटन सत्र के बाद उपस्थित कार्यालय कर्मियों को नेत्रदान के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी । मृत व्यक्ति से कॉर्निया प्राप्त करने की प्रक्रिया को टीवी पर दिखाया गया।

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