कोटा में निष्पक्ष इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज़्म अगर होता , तो शायद सांगोद तहसील के एक स्कूल के तीन अध्यापकों का निलंबन और उन पर लगे आरोपों की जांच की तस्वीर ही अलग होती , खुद शिक्षा मंत्री को गुमराह करने वाले लोगों को , शिक्षा मंत्री ही जवाब दे देते , गुनाह जो बताया जा रहा है , उससे तो सच्चाई का दूर दूर का भी वास्ता नज़र नहीं आता है , एक चूक , एक भूल , एक ही नाम के तीन स्टूडेंट , एडमिशन आवेदन में एक ही नाम के तीन लोग , दो एक धर्म के एक एक धर्म के , वोह भी पांच साल पहले का वाक़िया ,, एडमिशन फॉर्म में यक़ीनन चूक है , जिसकी प्रक्रिया है , एडमिशन फॉर्म भरवाना फिर चेक करना , फिर वेरिफाई करना , फिर प्रिंसिपल द्वारा वेरिफाई करना , जो हुआ ,लेकिन उसमे एक कॉलम दो एक धर्म के होने से सम्भवत हुआ , पूरा नाम है , फिर स्कॉलर रजिस्टर में सही इंद्राज है , स्कूल के रिकॉर्ड , मार्कशीटों में सही इंद्राज है , बस एक वही आधार ,, आरोप धर्मांतरण साबित नहीं कर पाता है , अखबारों के रिपोर्टर्स , न्यूज़ चेनल्स के लाइव बहस के ऐंकर्स , ,ज़िम्मेदारांन ,, खासकर सरकार में बैठे मंत्री ,विधायकों को , ऐसे आरोपों को संवेदनशील तरीके से देखना चाहिए , जांच करवाना चाहिए , जज़्बात में बहकर, पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर तुरत फुरत फैसले नहीं लेना चाहिए , एक मंत्री के विभाग से कोई विग्यप्ति जारी हो , तो वोह पुष्टि होकर ही होना चाहिए , मंत्री यानी सरकार , सरकार यानी संविधान के प्रावधानों के तहत सभी लोगों की बहुपक्षीय लोगों की सरकार ,,, खेर , मिशनरी स्कूलों की जांच तो हो नहीं रही , कोचिंग में और स्कूलों में एक ही छात्र की शिक्षा मंत्री के इलाक़े में उपस्थिति है , उसकी जांच हो नहीं रही ,, ऐसे मुद्दे बिना किसी जांच के नतीजे पर पहुंचे बगैर उछालना नहीं चाहिए , एक लिपिकीय भूल , या जान बूझकर की गई भूल भी समझ लो अगर , तो फिर आगे का रिकॉर्ड भी तो साक्ष्य के रूप में देखिये , उस लापरवही के अनुपात में जो सज़ा हो , परिनिन्दा हो , संबंधित जो भी ज़िम्मेदार हो , उन सभी को दे दें , कोई ऐतराज़ नहीं लेकिन मुद्दे की दिशा ही बदल दी जाए , आरोप ही बढ़ा चढ़ा कर लगा दिए जाये , तो फिर अपने क्षेत्र के विधायक और मंत्री के पास तो लोग जाएंगे ही , वोह जब ऐसे मामले की सच्चाई देखेंगे , तो राजधर्म निभाते हुए दूध का दूध पानी का पानी करेंगे ही सही , नहीं तो कमर्चारी ट्रिब्यूनल , हायकोर्ट तो इस सच्चाई और कारवाही की जल्दबाज़ी को देखेगी ही सही , बस मलाल है तो इस बात का , के इंवेस्टिंगटिव जर्नलिज़म अगर होती , तो यह मुद्दा जैसे उछाला जा रहा है , वैसे नहीं ,, दूसरी तरह से होता , और मामला ऐसा पेश नहीं होता जिससे कोटा , कोटा के सरकारी स्कूलों की खासकर , एक मंत्री ऊर्जा मंत्री के इलाक़े के स्कूल की तस्वीर गलत तरीके से पेश नहीं होती , वोह भी ,पांच साल पहले किये गए एक प्रवेश फॉर्म की एन्ट्री को लेकर, जिस स्टूडेंट ने , अब बोर्ड भी पास कर ली हो ,सभी में उसका नाम, पता , धर्म ,सभी वही हो ,जो उसका है, फिर अनावश्यक इस तरह की बातें रोकना चाहिए , जैसे आरोप है , अगर सच्चे हैं , तो यक़ीनन जो भी दोषी हो उसे छोड़ना चाहिए , लेकिन अगर ऐसे आरोप के पक्ष में साक्ष्य नहीं है , मामला तोड़ मरोड़ कर बयान करने वाला है , तो फिर ऐसे आरोप लगाने वाले लोगों के खिलाफ भी प्रशासन को , सरकार को ,, खुद मंत्री महोदय को कार्यवाही अमल में लाना ही चाहिए ,, और अख़बारों को , न्यूज़ चेनल्स को , इस शरारत की इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज़्म का जोहर बताकर, आम जनता के सामने ऐसा सच दिखाना ही चाहिए , ताकि भविष्य में कोई ऐसी शरारत करके, बोल्ड , निष्पक्ष , ईमानदार मंत्री महोदय , और सरकार को गुमराह कर गलत आदेश जारी ना करवा सके , ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
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