आपका-अख्तर खान

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25 फ़रवरी 2024

आंसुओं की हिकायत लिखूंगा

 

आंसुओं की हिकायत लिखूंगा
दर्द मगर नहीं बताऊंगा
ताउम्र मुंतजिर रहे,आज भी हैं
हर लम्हा कैसे कटा,सुनाऊंगा
जो लोग हालात पे मेरे हंसते हैं
अश्क भी हंसते हैं दिखाऊंगा
तन्हाइयों का बड़ा कोहना शौक है
मसरूफ़ मैं,बज़्म में वक्त पे जाऊंगा,

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