चिकित्सक की मृतदेह भावी चिकित्सकों के अध्ययन हेतु मेडिकल कॉलेज को दान
2. भावी चिकित्सकों के अध्ययन हेतु,एक चिकित्सक का हुआ देहदान
शाइन इंडिया फाउंडेशन के नैत्रदान-देहदान-अंगदान जागरूकता अभियान से अब शहर में धीरे-धीरे इस विषय पर लोग जागरूक हो रहे हैं ।
बीते दिनों शहर में साधना देवी जी का नेत्रदान हुआ था,उसकी शोक सभा में शाइन इंडिया फाउंडेशन के डॉ कुलवंत गौड़ ने कोटा से पहुंचकर नेत्रदान के बारे में जरूरी जानकारी दी थी, उसी समय मालती जी ने भी अपने पति के देहदान करने की इच्छा जताई थी,और देहदान से जुड़ी सारी जानकारी ली थी ,और अभी 7 दिन पहले ही डॉ लोढ़ा ने अपना देहदान का संकल्प पत्र भरकर मेडिकल कॉलेज झालावाड़ को सौंपा था । उसके बाद से ही, मालती जी लगातार डॉ गौड़ के सम्पर्क में थी।
मालती ने बताया कि, उनके पति डॉ जवारी लाल ने कोई भी काम कभी किसी के डर से नहीं किया, वह अपनी मर्जी के स्वतंत्र मालिक थे । इसलिए उनके देहदान के कार्य से,समाज,शहर और सभी रिश्तेदारों को प्रेरणा मिले, इसलिए घर से पार्थिव शव को मोक्ष-वाहिनी में बैंड-बाज़ों की धुन के साथ मेडिकल कॉलेज झालावाड़ लाया गया ।
डॉ जवारी की बड़ी बेटी मनीषा,बेटा डॉ सिद्धार्थ और ऋतुराज व पत्नि मालती जैन की आपसी सहमति के बाद डॉ जवारी लाल का पार्थिव शव मेडिकल कॉलेज,झालावाड़ के सीनियर प्रोफेसर,शरीर रचना विभाग डॉ मनोज शर्मा को सौंपा गया ।
मालती जी ने बताया कि डॉ० लोढ़ा सिद्धांतवादी,अपनी बात पर अटल व कर्मठ, सेवाभावी इंसान थे । सेवानिवृत्ति के बाद से वह सभी लोगों को नि:शुल्क परामर्श दिया करते थे,काफी लंबे समय तक उन्होंने झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में भी अपनी सेवायें दी हैं। अपना अंत समय करीब देखकर ,उन्होंने स्वयं अपनी पत्नी से देहदान कि इच्छा जतायी थी, की मृत्यु के बाद मेरा शरीर जलाना मत,बल्कि मेडिकल कॉलेज के बच्चों को पढ़ने के लिए दे देना ।
ज्ञात हो की,संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से यह झालावाड़ मेडिकल कॉलेज को मिलने वाली सातवीं देह है । उसके साथ ही संभवतया हाड़ौती संभाग में,डॉ लोढ़ा पहले चिकित्सक हैं,जिनका मरणोपरांत देहदान हुआ है ।
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