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27 जनवरी 2024

एक छोटी रस्गुल्ली और दूसरी ,, पानी की दो कांच की खूबसूरत बोतलें , इनका भी अजीब क़िस्सा है , पात्र काल्पनिक है , समझ तो खुद ले ही लेना ,, दिल्ली की सात सितारा होटल , वहां मनपसंद लज़्ज़तदार खाने की , भांजा ऐ, केनेडियन दावत ,, दावत चाहे केनेडियन हो , लेकिन थी तो इंडियन की , इंडियन के लिए , इण्डिया जहां रिश्तों की अहमियत है , प्यार है मोहब्बत है ,

 एक छोटी रस्गुल्ली और दूसरी ,, पानी की दो कांच की खूबसूरत बोतलें , इनका भी अजीब क़िस्सा है , पात्र काल्पनिक है , समझ तो खुद ले ही लेना ,, दिल्ली की सात सितारा होटल , वहां मनपसंद लज़्ज़तदार खाने की , भांजा ऐ, केनेडियन दावत ,, दावत चाहे केनेडियन हो , लेकिन थी तो इंडियन की , इंडियन के लिए , इण्डिया जहां रिश्तों की अहमियत है , प्यार है मोहब्बत है , लेकिन अपना हक़ लेने के लिए भी कुछ भी कर गुज़रने का हौसला भी हो और अनजाने में नई व्यवस्थाएं देखकर उल जलूल हरकतें तो हमारा शोक है ही सही , ,खेर लेडीज़ वेटर्स ,, रिसेप्शनिस्ट और , ऑर्डर के मुताबिक़ बहतरीन लज़्ज़तदार खाने परोसे जा रहे थे , इधर , उधर , ठसाठस भरी हर टेबल पर सब बढे सुकून से खा रहे थे , कुछ कपल थे , कुछ परिवार थे कुछ कुछ कुछ थे , लेकिन सभी बहुत कुछ थे , हम भी थे , खाने के वक़्त पेड़ बोतलें ,, बोतलें कांच की दिखने में खूबूसरत बस दिल भा गई , घर की खूबसूरती इन्ही बोतलों से बढ़ाना थीं , एक लीटर पानी 450 रूपये का तो बोतल तो बेशक़ीमती ही हो गई ,, चहके , महकें , खाना खाया ,, फिर वेटर ने मीठे के बारे में आदेश माँगा ,, खेर मीठे के लिए भी केनेडियन मेज़बान ने ऑर्डर दे ही दिया , इस बीच ,, दो छोटी छोटी कांच की कटोरी में , जितने हम इतने सफेद सफेद छोटे छोटे रसगुल्लों की तरह पीस रखे दिखे , ज़ाहिर है ,औरतों में मर्द से ज़्यादा अक़्ल होती है , वोह नए अंदाज़ को ज़्यादा रीड करती है , तो बस हमे भी एक मलिका ऐ हुस्न थीं , मालिक ऐ हाकम थीं , बोल पढ़ी , वाह छोटे छोटे रसगुल्ले कितने खबूसूरत लग रहे हैं , टेस्टी भी होंगे , ज़ाहिर चुटकुला अच्छा था , हंसी सभी का आना ही थी , हम भी हंस दिए , मलिका ऐ हाकम ने गुस्से में देखा , गुस्सा हुईं , और फिर दो मिंट बाद समझ कर बोलीं में तो यूँ ही मज़ाक़ कर रही थी , यह थो हाथ धोने और पोंछने के रुमाल , है और एक गोला उठाया खोला हाथ साफ करना शुरू कर दिया , लेकिन निगाहें उन चार पांच कांच की खूबसूरत खाली पढ़ी बोतलों पर थी , सवाल था के जब हमने भुगतान इन बोतलों का भी किया है तो बोतलें तो हमारी ही हुईं ना , अचानक पास ही एक प्रेमी कपल ,, भी दावत से फ्री हो गए वोह उठे , प्रेमिका ने , आधी भरी पानी की बोतल उठाई और साथ ले गई , बस फिर क्या था , घर की खूबसूरती के लिए कांच की बोतल ज़रूरी तो थी , खेर रहम किया और , पांच छह बोतलों में से सिर्फ दो बोतलें , थैले में रखी गयीं , हम हँसे तो , गुस्से में जवाब मिला तुम कुछ भी कर लो बोतलें तो हमारी ही हैं , में तो लेकर जाउंगी , बोतलें उठाई , देश की पूरी राजधानी में थैली में कांच की बोतलों को ,, हिफाज़त करते करते थक गए , अब देश की राजधानी , से इन बोतलों को कोटा लाना बढ़ी चुनौती था , खेर बढ़े अदब से एक कंबल में इन्हे पैक किया गया और आखिर यह बोतलें कोटा घर आ ही गईं ,, लेकिन यह बोतलें ,,,, देखते ही , वोह कटोरी में रखे छोटे छोटे रसगुल्ले ,,,,,,, की कहानी याद आती है फिर , ुयस रस्गुल्ली को खोलकर हाथ पोंछते हुए , , वोह जुमला ,, मेने तो मज़ाक़ किया था , वोह भी याद आता है और हंसी फुट पढ़ती है , ,, क़सम तो नहीं थी ,, लेकिन ख़ौफ़ज़दा तो बहुत हूँ , इस क़िस्से को सार्वजनिक करने के बाद मुझे खाना मिलेगा , या फिर डाँट , कुछ कह नहीं सकता ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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