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27 जनवरी 2024

खु़दा को छोड़कर उन चीज़ों को (हाजत के वक़्त) बुलाता है जो न उसको नुक़सान ही पहुँचा सकते हैं और न कुछ नफ़ा ही पहुँचा सकते हैं

 और लोगों में से कुछ ऐसे भी हैं जो एक किनारे पर (खड़े होकर) खु़दा की इबादत करता है तो अगर उसको कोई फायदा पहुँच गया तो उसकी वजह से मुतमईन हो गया और अगर कहीं उस कोई मुसीबत छू भी गयी तो (फौरन) मुँह फेर के (कुफ़्र की तरफ़) पलट पड़ा उसने दुनिया और आखे़रत (दोनों) का घाटा उठाया यही तो सरीही घाटा है (11)
खु़दा को छोड़कर उन चीज़ों को (हाजत के वक़्त) बुलाता है जो न उसको नुक़सान ही पहुँचा सकते हैं और न कुछ नफ़ा ही पहुँचा सकते हैं (12)
यही तो पल्ले दर्जे की गुमराही है और उसको अपनी हाजत रवाई के लिए पुकारता है जिस का नुक़सान उसके नफ़े से ज़्यादा क़रीब है बेशक ऐसा मालिक भी बुरा और ऐसा रफीक़ भी बुरा (13)
बेशक जिन लोगों ने ईमान कु़बूल किया और अच्छे अच्छे काम किए उनको (खु़दा बेहश्त के) उन (हरे-भरे) बाग़ात में ले जाकर दाखि़ल करेगा जिनके नीचे नहरें जारी होगीं बेशक खु़दा जो चाहता है करता है (14)
जो शख़्स (गु़स्से में) ये बदगुमानी करता है कि दुनिया और आख़ेरत में खु़दा उसकी हरगि़ज मदद न करेगा तो उसे चाहिए कि आसमान तक रस्सी ताने (और अपने गले में फाँसी डाल दे) फिर उसे काट दे (ताकि घुट कर मर जाए) फिर देखिए कि जो चीज़ उसे गुस्से में ला रही थी उसे उसकी तदबीर दूर दफ़ा कर देती है (15)
(या नहीं) और हमने इस कु़रआन को यूँ ही वाजे़ए व रौशन निशानियाँ (बनाकर) नाजि़ल किया और बेशक खु़दा जिसकी चाहता है हिदायत करता है (16)
इसमें शक नहीं कि जिन लोगों ने ईमान कु़बूल किया (मुसलमान) और यहूदी और लामज़हब लोग और नुसैरा और मजूसी (आतिशपरस्त) और मुशरेकीन (कुफ़्फ़ार) यक़ीनन खु़दा उन लोगों के दरमियान क़यामत के दिन (ठीक ठीक) फ़ैसला कर देगा इसमें शक नहीं कि खु़दा हर चीज़ को देख रहा है (17)
क्या तुमने इसको भी नहीं देखा कि जो लोग आसमानों में हैं और जो लोग ज़मीन में हैं और आफताब और माहताब और सितारे और पहाड़ और दरख़्त और चारपाए (ग़रज़ कुल मख़लूक़ात) और आदमियों में से बहुत से लोग सब खु़दा ही को सजदा करते हैं और बहुत से ऐसे भी हैं जिन पर नाफ़रमानी की वजह से अज़ाब का (का आना) लाजि़म हो चुका है और जिसको खु़दा ज़लील करे फिर उसका कोई इज़्ज़त देने वाला नहीं कुछ शक नहीं कि खु़दा जो चाहता है करता है (18) सजदा
ये दोनों (मोमिन व काफिर) दो फरीक़ हैं आपस में अपने परवरदिगार के बारे में लड़ते हैं ग़रज़ जो लोग काफि़र हो बैठे उनके लिए तो आग के कपड़े क़तअ किए गए हैं (वह उन्हें पहनाए जाएँगें और) उनके सरों पर खौलता हुआ पानी उँडेला जाएगा (19)
जिस (की गर्मी) से जो कुछ उनके पेट में है (आँतें वग़ैरह) और खालें सब गल जाएँगी (20)

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