और जिन लोगों ने हमारी आयतों (के झुठलाने में हमारे) आजिज़ करने के वास्ते कोशिश की यही लोग तो जहन्नुमी हैं (51)
और (ऐ रसूल) हमने तो तुमसे पहले जब कभी कोई रसूल और नबी भेजा तो ये ज़रूर
हुआ कि जिस वक़्त उसने (तबलीग़े एहकाम की) आरज़ू की तो शैतान ने उसकी
आरज़ू में (लोगों को बहका कर) क़लल डाल दिया फिर जो वस वसा शैतान डालता है
खु़दा उसे मिटा देता है फिर अपने एहकाम को मज़बूत करता है और खु़दा तो बड़ा
वाकि़फकार दाना है (52)
और शैतान जो (वसवसा) डालता (भी) है तो इसलिए ताकि खु़दा उसे उन लोगों के
आज़माईश (का ज़रिया) क़रार दे जिनके दिलों में (कुफ़्र का) मर्ज़ है और जिनके
दिल सख़्त हैं और बेशक (ये) ज़ालिम मुशरेकीन पल्ले दरजे की मुख़ालेफ़त में
पड़े हैं (53)
और (इसलिए भी) ताकि जिन लोगों को (कुतूबे समादी का) इल्म अता हुआ है वह
जान लें कि ये (वही) बेशक तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से ठीक ठीक (नाजि़ल)
हुई है फिर (ये ख़्याल करके) इस पर वह लोग ईमान लाए फिर उनके दिल खु़दा के
सामने आजिज़ी करें और इसमें तो शक ही नहीं कि जिन लोगों ने ईमान कु़बूल
किया उनको खु़दा सीधी राह तक पहुँचा देता है (54)
और जो लोग काफ़िर हो बैठे वह तो कु़राआन की तरफ से हमेशा शक ही में पड़े
रहेंगे यहाँ तक कि क़यामत यकायक उनके सर पर आ मौजूद हो या (यूँ कहो कि)
उनपर एक सख़्त मनहूस दिन का अज़ाब नाजि़ल हुआ (55)
उस दिन की हुकूमत तो ख़ास खु़दा ही की होगी वह लोगों (के बाहमी
एख़्तेलाफ) का फ़ैसला कर देगा तो जिन लोगों ने ईमान कु़बूल किया और अच्छे
काम किए हैं वह नेअमतों के (भरे) हुए बाग़ात (बेहश्त) में रहेंगे (56)
और जिन लोगों ने कुफ्र इक़तेयार किया और हमारी आयतों को झुठलाया तो यही वह (कम्बख़्त) लोग हैं (57)
जिनके लिए ज़लील करने वाला अज़ाब है जिन लोगों ने खु़दा की राह में अपने
देस छोडे़ फिर शहीद किए गए या (आप अपनी मौत से) मर गए खु़दा उन्हें (आखि़रत
में) ज़रूर उम्दा रोज़ी अता फ़रमाएगा (58)
और बेशक तमाम रोज़ी देने वालों में खु़दा ही सबसे बेहतर है वह उन्हें
ज़रूर ऐसी जगह (बेहिश्त) पहुँचा देगा जिससे वह निहाल हो जाएँगे (59)
और खु़दा तो बेशक बड़ा वाकि़फकार बुर्दवार है यही (ठीक) है और जो शख़्स
(अपने दुश्मन को) उतना ही सताए जितना ये उसके हाथों से सताया गया था उसके
बाद फिर (दोबारा दुशमन की तरफ़ से) उस पर ज़्यादती की जाए तो खु़दा उस
मज़लूम की ज़रूर मदद करेगा (60)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
31 जनवरी 2024
और जिन लोगों ने हमारी आयतों (के झुठलाने में हमारे) आजिज़ करने के वास्ते कोशिश की यही लोग तो जहन्नुमी हैं
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