कम उम्र का कॉर्निया ,10 को दे सकता है रौशनी
2. दिवंगत के हो नैत्रदान,उससे पुण्य नहीं कोई काम
शाइन इंडिया फाउंडेशन के राष्ट्रव्यापी "नेत्रदान बने-जन अभियान" कार्यक्रम के अंतर्गत संभाग में राजकीय एवं निजी विद्यालयों में नेत्रदान,अंगदान,देहदान के प्रति विद्यार्थियों को जागरूक करने का कार्यक्रम अनवरत किया जा रहा है ।
इसी क्रम में आज विज्ञान नगर के न्यू किड्स वर्ल्ड स्कूल के कक्षा 8 से 10 के विद्यार्थियों को नेत्रदान के विषय में जानकारी देते हुए संस्था संस्थापक व ईबीएसआर बीबीजे चेप्टर कॉर्डिनेटर डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया कि,एक व्यक्ति के मरणोपरांत मिलने वाले दो कॉर्निया से, कॉर्निया की अंधता का दुख भोग रहे दो दृष्टीबाधित लोगों में रौशनी मिलती है।
लेकिन आज के अत्याधुनिक चिकित्सा युग में यदि 15 वर्ष से कम उम्र में कोई मृत्यु होती है,और उसके परिजन दिवंगत के नेत्रदान करवाते हैं,तो एक कॉर्निया में पायी जाने वाली पांच परतें (एपिथिलीयम, बोमेन्स लेयर,स्ट्रोमा,डेसमेन्ट एवं इंडोथिलीयम ) अलग-अलग पांच ऐसे व्यक्तियों में लगा दी जाती है, जो किसी एक लेयर के खराब हो जाने के कारण कॉर्निया की अंधता से पीड़ित हैं ।
नेत्रदान में कॉर्निया लिया जाता है,जो की आँख के ठीक सामने का एक पारदर्शी हिस्सा होता है,जिसमें किसी तरह की कोई ब्लड सप्लाई नहीं होती है । यही कारण है कि,नेत्रदान लेने में किसी तरह का कोई रक्तस्राव नहीं होता है ।
डॉ गौड़ ने नेत्रदान के विषय के अलावा, आंखों की सुरक्षा और देखभाल के बारे में भी बच्चों को विशेष जानकारी दी । स्कूल निदेशक आर के शर्मा ने बच्चों को संदेश देते हुए कहा कि,सामाजिक कार्यों की जानकारी बच्चों को सही उम्र व समय पर देने से,बच्चों के अंदर मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ता है ।
कार्यशाला में प्रिंसिपल डॉ दीपिका विजय, इंचार्ज जानकी लक्ष्यकार, मीनाक्षी शर्मा, अजरा मैडम, निधि गौतम, वसुंधरा हाडा भी उपस्थित थे ।
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