मदरसा बोर्ड चेयरमेन , मदरसा बोर्ड इतिहास में मदरसों के लिए कुर्सी पर बैठकर , सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले पहले चेयरमेन साबित हुए , उन्हें इतिहास में याद रखा जाएगा , ,अगर क़ोम ऐ मोहम्मदी , क़ोम से धोखा करने, झूँठा प्रचार करने, जी हुजूरी में लगकर क़ोम के दुश्मनों के मददगार बनने वाले, गुमराह करने वाले, सियासत के लियें तलवे चाटू आलिमों के लिबास में दिखने वाले, फिरके फसाद फैलाने वाले, कुतर्क कर अपने लीडर की चमचागिरी, चापलूसी करने वालों का अगर क़ोम बहिष्कार करने लगे तो कुछ सुधार तो उनमें भी आ सकता है, जिन्हें तोबा के बाद मुआफी ढ़ी जा सकती है,
राजस्थान के मदरसों में , मदरसा पर टीचर्स नियुक्ति ,, मामले में , झूंठे वायदे ,, धोखों का ग्रहण लगा है , ,मदरसा बोर्ड के गठन के बाद , शुरुआती दौर में अलबत्ता , मदरसों के बारे में , पंजीकरण , मदरसों में ,पैराटीचर्स नियुक्ति की शुरुआत ईमानदाराना हुई , राजस्थान में साक्षरता की दर सो फीसदी के लगभग होने लगी , मदरसा बोर्ड एकल व्यक्ति , फिर सदस्यों के साथ मदरसा बोर्ड के गठन के बाद , चाहे मदरसा बोर्ड को , संवैधानिक दर्जा मिल गया हो , लेकिन मंत्री दर्जा नहीं दिया गया ,, अलबत्ता , भाजपा कार्यर्काल में , और इसके पूर्व कांग्रेस कार्यकाल में, मदरसा बोर्ड चेयरमेन को मंत्री दर्जा दिया गया ,फिर टन टन गोपाल हो गए , ,वसुंधरा सिंधिया के मुख्यमंत्री कार्यकाल में, मदरसा बोर्ड के पैराटीचर्स को ,भी दूसरे , पैराटीचर्स , और अस्थाई शिक्षकों की तरह , , प्रबोधक का दर्जा देकर ,ऐतिहासिक उपलब्धि बनाई , ,अब ,, मदरसा बोर्ड में , मॉडर्नाइजेशन के नाम पर , मदरसों में खेलकूद ,, खाद्य सामग्री , वगेरा वगेरा के नाम पर जो हो रहा है , जो होता रहा है , वोह सभी जानते हैं , पंद्रह सूत्रीय कल्याणकारी , व्यवस्थाएं खत्म हो गई , बैठकें , कमेटियां , मॉनिटरिंग ठंडे बस्तों में बंद हैं , जबकि , मदरसा बोर्ड के चेयरमेन के एक लेटर पेड़ पर , बिना कॉलिफिकेशन , बिना ,आपराधिक रिकॉर्ड को जांचें , सिफारिशों के आधार पर , जिला संयोजक और जिला जेम्बो जेट टीम की घोषणा कर , मदरसों से जुड़े लोगों , और पूरी क़ौम को गुमराह कर , धोखा देने की परम्परा शुरू हो गई है ,, अफ़सोस इस बात पर है , के मदरसों के अध्यक्ष , सचिव और कार्यकारिणी तो कभी एक मत होकर , मदरसों के हक़ में कोई संघर्ष नहीं करते , लेकिन , मदरसा पैराटीचर्स , अपने हक़ के लिए संघर्ष करने के प्रयासों में , बूढ़े हो गई , कई अल्लाह को प्यारे हो गए , मदरसों में आज आरक्षण निति के नाम पर , क़ाबलियत के नाम पर , हिन्दू ,, मुस्लिम समाज के सभी लोग , पैराटीचर्स हैं , , अमीन कायमखानी ,, सहित कई ऐसे लोग है , जो मदरसा पेट्राटीचर्स के लिए संघर्ष करते करते , रिटायर होने जा रहे हैं , एक शमशेर भाई भालू , , तो स्वेच्छिक सेवानिवृत भी हो गए , उन्होंने मदरसा पैराटीचर्स के लिए इंसाफ का संघर्ष मैच फिक्सिंग वाला किया , ईमानदारोना , संघर्ष नहीं होने की वजह से , आज मदरसा पैराटीचर्स स्थाई होकर, , वसुंधरा सिंधिया के तोहफे की तरह , प्रबोधक बनकर , मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत की पुरानी पेंशन स्कीम का फायदा लेकर , खुश हो रहे हैं , उनके परिवार में खुशहाली है , लेकिन आज के पैराटीचर्स , स्थाई होना तो दूर , गिनती के मानदेय पर आकर अटके पढ़े हैं , कम्प्यूटर पेरा अनुदेशकों को तो अभी भी इन्साफ बराबरी के दर्जे के साथ नहीं मिल सका है , ,इधर , नए पैराटीचर्स की नियुक्तियां कई सालों से अटकी पढ़ी हैं , हर बार कांग्रेस हो , चाहे भाजपा हो , चुनाव के ऍन वक़्त पर , नियुक्तियां निकालती है , आवेदन भरे जाते हैं , फिर वोह आवेदन रद्दी हो जाते हैं , कई ओवर एज हो गए , तो कई , इन्तिज़ार में ही अल्लाह को प्यारे हो गए, यह ज़ुल्म , यह ज़्यादती , किसी अंगूठा टेक के साथ नहीं , उर्दू में एम ऐ , बी ऐड , एस टी सी , कम्प्यूटर प्रशिक्षक के साथ यहां हो रहा है ,, रोज़ रोज़ , लगातार , हर साल ,, हर चुनावों में वायदों के बाद , चुनाव की शुरुआत से मांग उठाने के बावजूद , नए चुनाव की शुरआत होने तक , लगातार होता जा रहा हैं , खेर इस बार भी होने को तो यही हुआ है , बस वर्क थोड़ा सा यह हुआ के , मदरसा पैराटीचर्स के लिए गठित मदरसा बोर्ड का क़ानून बन गया, नियुक्तियां हो गई , लेकिन मदरसा बोर्ड की अभी तक एक बैठक भी नहीं हुई , कोई बढ़ा फैसला बैठक होती तो होता , लेकिन फिर भी अल्लाह का शुक्र यह रहा के, पैराशूट से ही सही , चमत्कारिक तरीके से ही ,सही , दादागिरी , हाईकमान से फरमान लाकर ही सही , पहली बार ,, , मदरसा बोर्ड का चेयरमेन गैर राजनितिक आदमी , एम डी चोपदार की नियुक्ति हुई है एम डी ,चोपदार दूसरे सियासी गुलामो की तरह , अपने , मसाइलों को भुला कर जय जयकार करने की बुराई की आदत में अभी पारंगत नहीं हो पाए हैं , वोह दिल से सोच रहे हैं , और मदरसों का दर्द देख रहे हैं , मदरसों को सिसकता देख रहे हैं , मदरसा पैराटीचर्स की नियुक्तियों के इन्तिज़ार में बैठे बेरोज़गारों का दर्द महसूस कर रहे हैं , सरकार में बैठे अधिकारीयों द्वारा सब कुछ देने , देने का वायदा करने के बाद भी , मदरसा पैराटीचर्स नियुक्ति के नाम पर ,अंगूठा दिखाने की बेहूदगी , बेईमानी , धोखे को उन्होंने नज़दीक से देखा है , ,मुबारकबाद के हक़दार है , एम डी चोपदार जो , अभी सियासत की गुलामी से अलग थलग हैं , मदरसों के पैराटीचर्स के हक़ में खड़े हुए हैं , ,उन्होंने नौकरशाहों , झूंठे ,, मक्कार , मुस्लिम विरोधी , मदरसों के विरोधी , सरकारी दीमकों को आयना भी दिखाया है , अभी हाल ही में ,, मदरसा शिक्षा अनुदेशक पद पर , 6843 पदों पर भर्ती होना थी , लेकिन नौकर शाहों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को , उनके नारे , तुम मांगते मांगते थक जाओगे , में देता देता नहीं थकूंगा , के नारे को झूंठा साबित करने के प्रयासों में कमी नहीं छोड़ी , और 6843 अनुदेशकों की जगह , पत्रावली सिर्फ 1500 की भर्ती की फ़ाइल मुख्यमंत्री तक पहुंचाई , ,आज तक , राजस्थान में , कोई भी एम एल ऐ , मुस्लिम अल्पसंख्यक आयोग का चेयरमेन अल्पसंख्यक विभाग कांग्रेस का प्रदेश चेयरमेन , राष्ट्रिय चेयरमेन , ज़िम्मेदार , प्रतिनिधियों की इतनी हिम्मत नहीं हुई , के ऐसी ज़्यादतियों के खिलाफ वोह एक इंच , तो क्या एक बाल बराबर भी आवाज़ उठा सकें , सभी लोग अपने अपने हमाम में नंगे है , जी हुज़ूर है , ज़ुल्म हो रहा है, ना इंसाफियां होती रहीं हैं , और यह लोग, जी हुज़ूर बनकर, क्या हुक्म है मेरे आक़ा की तरह से हाथ बांधे खड़े हैं , लेकिन मुबारकबाद के हक़दार है , मेरे भाई , एम डी चोपदार साहब , जिन्होंने , आवाज़ उठाई , नफा नुकसान की परवाह किये बगैर उन्होंने , मदरसा अनुदेशक भर्ती , और कम्प्यूटर अनुदेशकों के साथ भत्तों में , पक्षपात को लेकर, आवाज़ उठाई , पत्र लिखा ,, इतना ही नहीं इनका यह पत्र , मिडिया में भी लीक हुआ , और फर्स्ट इंडिया ने इसे प्रमुखता देकर, प्रकाशित प्रसारित भी किया , ,खुद इस खबर के अंश से अंदाज़ा लगाएं के कितनी हिम्मत से , एम डी चोपदार ने यह पक्षपात के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने की हिम्मत दिखाई है , वोह बात अलग है , के नियुक्तियों की शुरुआत अभी तक नहीं हुई , अगर दिखावे के लिए हुई भी , तो हर बार की रह , बस कागज़ का टुकड़ा , प्रकाशन ,विज्ञापन , आवेदन पर हज़ारों रूपये बेरोज़गारों के खर्च , और फिर , चुनाव आचार संहिता , फिर नए चुनाव , फिर वही हर बार की तरह , हर चुनाव के वायदे की तरह , यह कहानी चलती रहेगी , ,, चलती रहेगी , क्योंकि एक क़ौम है , जो कभी हुकूमत में हुआ करती थी , एक क़ौम है , जो अल्लाह की हिदायतों , हुजुर स अ व के बताये हुए रास्ते जिसमे इन्साफ के लिए के लिए किसी भी हद तक के संघर्ष के लिए , गुज़र जाने का हक़ दिया , फैसला दिया , और इस क़ौम कई सालों तक ,, हक़ के लिए संघर्ष कर इंसाफ भी हांसिल किया , सत्ता भी हांसिल की , लेकिन यही क़ौम अब जी हुज़ूर है , इनकी ज़ुबानों पर ताले लगे हुए है , एक वोटिंग मशीन ,, रिमोट से चलने वाले , भाई साहबों के इशारों पर , अपने ही लोगों को अपमानित करने वाले , एक दूसरे से लड़ने , झगड़ने वाले , अपनी इबादतघरों के साथ नाइंसाफियों को देखकर भी , अपने आकाओं को सुबुकदोष ठहराने के लिए कुतर्क करते हैं , आपस में लड़ते हैं ,एक दूसरे को नीचा दिखाते हैं ,ऐसे बिगड़े माहौल में , जब हम सभी खामोश रहकर , ज़ुल्म सहने के गुनाहगार हैं , तब , दबे अल्फ़ाज़ों में ही सही , कुर्सी पर बैठकर, एम डी चोपदार साहब ने जो हिम्मत दिखाई , जो आयना दिखाया , उसे सार्वजनिक भी करते हुए , नौकरशाहों की ना इंसाफ़ी को नंगा किया , उसके लिए उन्हें मुबारकबाद , के साथ , उनकी हौसला अफ़ज़ाई तो बनती है , , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
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