कोटा त्योहारों का संगम का शहर है , मिली जुली गंगा जमुना संस्कृति , क़ौमी एकता के जज़्बे के साथ , यहां ,, हिन्दू ,,मुस्लिम , सिक्ख , ईसाई , जैन वगेरा सभी , मिलजुलकर त्यौहार मना रहे हैं , ,कोटा के जज़्बे को मुबारकबाद के यहां . अमन पसंद लोग हैं , यहां शरारती तत्वों के सर उठाने के पहले ही , उन्हें रोक दिया जाता है , ,कोटा में हाल ही में , ईद मिलादुन्नबी , और अन्नंत चतुर्दर्शी का जुलुस एक चुनौती था , जिसे प्रशासन ने पूरी शिद्द्त , ताक़त और एहतियात के साथ , भाई चारा सद्भावना का संदेश देते हुए ,, निकलवाने में सफलता प्राप्त की है, कोटा प्रशासन , ,कोटा के स्थानीय निवासी , स्थानीय ज़िम्मेदारों को , बधाई , मुबारकबाद ,, यक़ीनन मज़हब ऐ इस्लाम , का कैलेंडर अल्लाह के हुक्म से , चाँद ,, यानी विज़िबिलिटी ऑफ़ मून ,, से तय होता है , इंसान के हाथ में कुछ नहीं , चाँद पर ही सब दारोमदार यही , और चाँद का निकलना , नहीं निकलना ,कब निकलना , यह सब अल्लाह तय करता है , इस बार भी अल्लाह ने चाँद की शहादत , 28 सितम्बर की मुक़र्रर की , ,कोटा शहर क़ाज़ी , क्यूंकि अल्लाह के हुक्म के हिसाब से ही , ईद मिलादुन्नबी की घोषणा करने के लिए ,, पाबंद थे , उन्होंने अपना क़ाज़ी ऐ शहर का फ़र्ज़ निभाया , ईद मिलादुन्नबी , 28 को है , घोषणा की बस उसी के बाद से , यहां सियासत शुरू हो गई , कुछ लोग चाहते थे , के ईद मिलादुन्नबी की घोषणा 28 की जगह 29 को हो , इसके लिए , खूब साज़िशें हुईं , आरोप ,, प्रत्यारोप लगाए गए , गुमराह लोगों ने , माहौल बनाया ,, लेकिन दबाव में कोई भी क्यों आये , जो तारीख थी , उसी तारीख पर , एक नहीं दो नहीं, , तीन नहीं ,चार चार त्यौहार भी हो जाए तो क्या फ़र्क़ पढ़ता है , सभी को अमन सुकून से , अपने अपने त्योहारों को , सुकून से मनाने की पूरी छूट है , और इसीलिए , ,मौलाना फ़ज़्ले हक़ , पूर्व चेयरमेन मदरसा बोर्ड राजस्थान सरकार ने , इस मामले में , अमन के परचम के साथ , हिन्दू मुस्लिम एकता के पैगाम के साथ ,, सारी अफवाहों को निर्मूल , बेमानी साबित करने के लिए , ,इसी दिन , हुज़ूर स अ व की सीरत ,, अमन हमारा मज़हब है के नारे के साथ , प्रतीकात्मक जुलुस निकालने का फैसला किया , मौलाना फ़ज़्ले हक़ की क़यादत में , पहले भी ईद मिलादुन्नबी का , जुलुस , कई सालों तक , अंतराष्ट्रीय मौलानाओं , ,राष्ट्रिय स्तर के सभी दलों के सियासी नेताओं की मौजूदगी में ,निकाला जाता रहा है , उसके बाद ,मौलाना फ़ज़्ले हक़ ,, पैगाम ऐ इंसानियत के नाम पर, , मोहब्बत के पैगाम के साथ , नफरत के बाज़ारों में ,, मोहब्बत की दूकान को लेकर हर साल ,, राष्ट्रिय अंतर्राष्टीर्य सेमिनार आयोजित की है , जिसमे , मुस्लिम उलेमाओं के साथ , हिन्दू समाज के साधू संतों को भी बुलाया गया , सियासी लीडर्स ने भी मंच पर आकर, मोहब्बत के पैगाम की सराहना की ,, ,इसीलिए , प्रतीकात्मक जुलुस , ,रिवायत के मुताबिक़ , ईद मिलादुन्नबी के ही दिन निकाला जाए , यह भी ज़रूरी था, , इसमें हालात भी साज़गार थे , , कोरोना काल की बात अलग है , लेकिन अभी तो , दूसरे समाज के लोग , प्रशासन भी , पूरी मदद के लिए तय्यार था ,, कोटा का हिन्दू समाज , उदार है , मोहब्बत के पैगाम का अलमबरदार है , यह संदेश देकर, इसी दिन ईद मिलादुन्नबी के जुलुस को निकालने के समर्थन में था , जबकि प्रशासन भारत के संविधान ,, क़ानून के तहत , , सभी धर्मों के हक़ हुक़ूक़ को संरक्षण देकर , इस जुलुस को निकालने के लिए पूरी तरह से , तय्यार था , ऐसे में , ना जाने कौन लोग थे , और ऐसा क्यों कर रहे थे , अफवाहे फैलाने लगे, , ईद मिलादुन्नबी , दूसरी शहरों में ,दूसरे दिन मनाया जा रहा है , ,लेकिन अगर ऐसा था , तो फिर सरकारी छुट्टी 28 को ही क्यों थी , यह लोग , इस छुट्टी को दूसरे दिन बदलवाकर बताते तो मान लेते , खेर अपनी समझ , अपना काम होता है , लेकिन मौलाना फ़ज़्ले हक़ ,, न्याज़ भाई निक्कू , के संयुक्त प्रयासों से में तो अकेला है चला था , जानिब ऐ मंज़िल , लोग मिलते गए और कारवां बढ़ता गया, , ईद मिलादुन्नबी के ही दिन जुलुस को नहीं निकलने देने की लाख कोशिशों के बावजूद भी , प्रशासन की मुस्तैदी के साथ , अमन का परचम लहराया गया ,, सभी समाजों ने , इस जुलुस का , पैगाम एक मोहम्मदी का गर्मजोशी से स्वागत किया ,, बम्बुले वाले बाबा के यहां से , जुलुस बिना किसी , बग्गी , घोड़े , ऊंट , के निकल कर, हम्द और नात के साथ , जुलुस की रवानगी हुई ,, शेर वाले बाबा , पुराने चिड़ियाघर के पास , जुलुस का समापन , क़ौमी एकता , ,मोहब्बत , मोहब्बत ,, नफरत के खिलाफ मोहब्बत के पैगाम के साथ , मुख़्तसर तक़रीर के बाद , ,यह जुलुस सभा में बदला , फिर अमन की दुआओं के साथ , हर साल इसी दिन , जुलुस अमन के परचम , अमन के पैगाम नफरत के खिलाफ मोहब्बत के पैगाम को लेकर, यह जुलुस निकालने पर आम सहमति बनी , और जुलुस विसर्जित हो गया, खेर दूसरे दिन भी जुलुस निकला, बेहतरीन जुलुस निकला,,, अल्लाह का शुक्र रहा , सभी ने स्वागत कर वही , मोहब्बत का पैगाम दिया ,, मौलाना फ़ज़्ले हक़ कोटा की ही नहीं , राजस्थान की अज़ीम शख्सियत है , अंतर्राष्टीर्य , राष्ट्रिय स्तर पर , यह सेमिनारों में आते जाते रहे हैं , मदरसा बोर्ड के पूर्व चेयरमेन के कार्यकाल में , भर्तियां भी हुईं, दूर दराज़ लोगों को , अपने इच्छित स्थान पर ,ट्रांसफर कर , ,राहत भी दी गई , वर्तमान में मिलाना फ़ज़्ले हक़ , शांति सद्भाव कार्यक्रम से जुड़े है , अमन के परचम के साथ , ,पीस मिशन ऑफ़ राजस्थान के संरक्षक है , ,मज़हब ऐ इस्लाम ,, अमन का पैगाम , की तब्लीग के साथ , मदरसा शिक्षा उत्थान के लिए कार्यरत रहकर, मदरसे के मुदर्रिसों , ,मस्जिदों के इमामों , आलिमों को , उनके हुक़ूक़ , इज़्ज़त , अस्मत बुलंदियों तक कैसे पहुंचाई जाए , ,इसके लिए वोह लगातार जुस्तजू के साथ जद्दो जहद के साथ कर रहे हैं , कहते हैं , अल्लाह नेक इरादों के साथ , काम करने वालों का मददगार होता है , और यहां भी , मोलाना फ़ज़्ले हक़ जब भी कोई कार्य्रकम करते है , तो चाहे कुछ लोग , आस्तीन के सांप बनकर, उसमे ज़हर घोलने की कोशिशों में जुटें , विरोध करते रहें , लेकिन मौलाना फ़ज़्ले हक़ , सब्र ,, शुक्र, माफ़ी के मज़हबी फार्मूले के साथ , सभी की दुआएं लेकर, खामोशी से , अपने टारगेट पर काम करते हैं , और नतीजा , माशाअल्लाह , कामयाबी , अमन का पैगाम , सुकून , ज़िंदाबाद , हो जाता है , ,उन्हें बधाई , मुबारकबाद ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
02 अक्टूबर 2023
कोटा त्योहारों का संगम का शहर है , मिली जुली गंगा जमुना संस्कृति , क़ौमी एकता के जज़्बे के साथ , यहां ,, हिन्दू ,,मुस्लिम , सिक्ख , ईसाई , जैन वगेरा सभी , मिलजुलकर त्यौहार मना रहे हैं ,
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