ऐ मेरी क़ौम मै उस (समझाने पर तुमसे कुछ मज़दूरी नहीं माँगता मेरी मज़दूरी
तो बस उस शख़्स के जि़म्मे है जिसने मुझे पैदा किया तो क्या तुम (इतना भी)
नहीं समझते (51)
और ऐ मेरी क़ौम अपने परवरदिगार से मग़फिरत की दुआ माँगों फिर उसकी बारगाह
में अपने (गुनाहों से) तौबा करो तो वह तुम पर मूसलाधार मेह आसमान से
बरसाएगा ख़ुश्क साली न हेागी और तुम्हारी क़ूवत (ताक़त) में और क़ूवत बढ़ा
देगा और मुजरिम बन कर उससे मुँह न मोड़ों (52)
वह लोग कहने लगे ऐ हूद तुम हमारे पास कोई दलील लेकर तो आए नहीं और
तुम्हारे कहने से अपने ख़़ुदाओं को तो छोड़ने वाले नहीं और न हम तुम पर
ईमान लाने वाले हैं (53)
हम तो बस ये कहते हैं कि हमारे ख़ुदाओं में से किसने तुम्हें मजनून
(दीवाना) बना दिया है (इसी वजह से तुम) बहकी बहकी बातें करते हो हूद ने
जवाब दिया बेशक मै ख़ुदा को गवाह करता हूँ और तुम भी गवाह रहो कि तुम
ख़़ुदा के सिवा (दूसरों को) उसका शरीक बनाते हो (54)
इसमे मै बेज़ार हूँ तो तुम सब के सब मेरे साथ मक्कारी करो और मुझे (दम मारने की) मोहलत भी न दो तो मुझे परवाह नहीं (55)
मै तो सिर्फ ख़़ुदा पर भरोसा रखता हूँ जो मेरा भी परवरदिगार है और
तुम्हारा भी परवरदिगार है और रुए ज़मीन पर जितने चलने वाले हैं सबकी चोटी
उसी के साथ है इसमें तो शक ही नहीं कि मेरा परवरदिगार (इन्साफ की) सीधी राह
पर है (56)
इस पर भी अगर तुम उसके हुक्म से मुँह फेरे रहो तो जो हुक्म दे कर मैं
तुम्हारे पास भेजा गया था उसे तो मैं यक़ीनन पहुँचा चुका और मेरा परवरदिगार
(तुम्हारी नाफरमानी पर तुम्हें हलाक करें) तुम्हारे सिवा दूसरी क़ौम को
तुम्हारा जानशीन करेगा और तुम उसका कुछ भी बिगाड़ नहीं सकते इसमें तो शक
नहीं है कि मेरा परवरदिगार हर चीज़ का निगेहबान है (57)
और जब हमारा (अज़ाब का) हुक्म आ पहुँचा तो हमने हूद को और जो लोग उसके
साथ इमान लाए थे अपनी मेहरबानी से नजात दिया और उन सबको सख़्त अज़ाब से बचा
लिया (58)
(ऐ रसूल) ये हालात क़ौमे आद के हैं जिन्होंने अपने परवरदिगार की आयतों से
इन्कार किया और उसके पैग़म्बरों की नाफ़रमानी की और हर सरकश (दुश्मन
ख़़ुदा) के हुक्म पर चलते रहें (59)
और इस दुनिया में भी लानत उनके पीछे लगा दी गई और क़यामत के दिन भी (लगी
रहेगी) देख क़ौमे आद ने अपने परवरदिगार का इन्कार किया देखो हूद की क़ौमे
आद (हमारी बारगाह से) धुत्कारी पड़ी है (60)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
02 अक्टूबर 2023
ऐ मेरी क़ौम मै उस (समझाने पर तुमसे कुछ मज़दूरी नहीं माँगता मेरी मज़दूरी तो बस उस शख़्स के जि़म्मे है जिसने मुझे पैदा किया तो क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते
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