ख़ुदा ही ऐसा (क़ादिर तवाना) है जिसने सारे आसमान व ज़मीन पैदा कर डाले और
आसमान से पानी बरसाया फिर उसके ज़रिए से (मुख़्तलिफ दरख़्तों से) तुम्हारी
रोज़ा के वास्ते (तरह तरह) के फल पैदा किए और तुम्हारे वास्ते कश्तियाँ
तुम्हारे बस में कर दी-ताकि उसके हुक्म से दरिया में चलें और तुम्हारे
वास्ते नदियों को तुम्हारे एख़्तियार में कर दिया (32)
और सूरज और चाँद को तुम्हारा ताबेदार बना दिया कि सदा फेरी किया करते हैं
और रात और दिन को तुम्हारे क़ब्ज़े में कर दिया कि हमेशा हाजि़र रहते हैं
(33)
(और अपनी ज़रुरत के मुवाफिक) जो कुछ तुमने उससे माँगा उसमें से (तुम्हारी
ज़रूरत भर) तुम्हे दिया और तुम ख़ुदा की नेमतो गिनती करना चाहते हो तो गिन
नहीं सकते हो तू बड़ा बे इन्साफ नाशुक्रा है (34)
और (वह वक़्त याद करो) जब इबराहीम ने (ख़ुदा से) अजऱ् की थी कि
परवरदिगार इस शहर (मक्के) को अमन व अमान की जगह बना दे और मुझे और मेरी
औलाद को इस बात को बचा ले कि बुतों की परसतिश करने लगे (35)
ऐ मेरे पालने वाले इसमें शक नहीं कि इन बुतों ने बहुतेरे लोगों को गुमराह
बना छोड़ा तो जो शख़्स मेरी पैरवी करे तो वह मुझ से है और जिसने मेरी
नाफ़रमानी की (तो तुझे एख़्तेयार है) तू तो बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है)
(36)
ऐ हमारे पालने वाले मैने तेरे मुअजि़ज़ (इज़्ज़त वाले) घर (काबे) के पास
एक बेखेती के (वीरान) बियाबान (मक्का) में अपनी कुछ औलाद को (लाकर) बसाया
है ताकि ऐ हमारे पालने वाले ये लोग बराबर यहाँ नमाज़ पढ़ा करें तो तू कुछ
लोगों के दिलों को उनकी तरफ माएल कर (ताकि वह यहाँ आकर आबाद हों) और उन्हें
तरह तरह के फलों से रोज़ी अता कर ताकि ये लोग (तेरा) शुक्र करें (37)
ऐ हमारे पालने वाले जो कुछ हम छिपाते हैं और जो कुछ ज़ाहिर करते हैं तू
(सबसे) खूब वाकि़फ है और ख़ुदा से तो कोई चीज़ छिपी नहीं (न) ज़मीन में और न
आसमान में उस ख़ुदा का (लाख लाख) शुक्र है (38)
जिसने मुझे बुढ़ापा आने पर इस्माईल व इसहाक़ (दो फरज़न्द) अता किए इसमें तो शक नहीं कि मेरा परवरदिगार दुआ का सुनने वाला है (39)
(ऐ मेरे पालने वाले मुझे और मेरी औलाद को (भी) नमाज़ का पाबन्द बना दे और ऐ मेरे पालने वाले मेरी दुआ क़ुबूल फरमा (40)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
28 अक्टूबर 2023
और सूरज और चाँद को तुम्हारा ताबेदार बना दिया कि सदा फेरी किया करते हैं और रात और दिन को तुम्हारे क़ब्ज़े में कर दिया कि हमेशा हाजि़र रहते हैं (33) (और अपनी ज़रुरत के मुवाफिक) जो कुछ तुमने उससे माँगा उसमें से (तुम्हारी ज़रूरत भर) तुम्हे दिया और तुम ख़ुदा की नेमतो गिनती करना चाहते हो तो गिन नहीं सकते हो तू बड़ा बे इन्साफ नाशुक्रा है
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