और लोगों को जो तकलीफ पहुँची उसके बाद जब हमने अपनी रहमत का जाएक़ा चखा
दिया तो यकायक उन लोगों से हमारी आयतों में हीले बाज़ी शुरू कर दी (ऐ रसूल)
तुम कह दो कि तद्बीर में ख़ुदा सब से ज़्यादा तेज़ है तुम जो कुछ मक्कारी
करते हो वह हमारे भेजे हुए (फरिशते) लिखते जाते हैं (21)
वह वही ख़़ुदा है जो तुम्हें खुश्की और दरिया में सैर कराता फिरता है
यहाँ तक कि जब (कभी) तुम कश्तियों पर सवार होते हो और वह उन लोगों को बाद
मुवाफिक़ (हवा के धारे) की मदद से लेकर चली और लोग उस (की रफ्तार) से ख़ुश
हुए (यकायक) कश्ती पर हवा का एक झोंका आ पड़ा और (आना था कि) हर तरफ से उस
पर लहरें (बढ़ी चली) आ रही हैं और उन लोगों ने समझ लिया कि अब घिर गए (और
जान न बचेगी) तब अपने अक़ीदे को उसके वास्ते निरा खरा करके खुदा से दुआएँ
मागँने लगते हैं कि (ख़ुदाया) अगर तूने इस (मुसीबत) से हमें नजात दी तो हम
ज़रुर बड़े शुक्र गुज़ार होंगें (22)
फिर जब ख़ुदा ने उन्हें नजात दी तो वह लोग ज़मीन पर (कदम रखते ही) फौरन
नाहक़ सरकशी करने लगते हैं (ऐ लोगों तुम्हारी सरकशी का वबाल) तो तुम्हारी
ही जान पर है - (ये भी) दुनिया की (चन्द रोज़ा) जि़न्दगी का फायदा है फिर
आखि़र हमारी (ही) तरफ तुमको लौटकर आना है तो (उस वक़्त) हम तुमको जो कुछ
(दुनिया में) करते थे बता देगे (23)
दुनियावी जि़दगी की मसल तो बस पानी की सी है कि हमने उसको आसमान से
बरसाया फिर ज़मीन के साग पात जिसको लोग और चैपाए खा जाते हैं (उसके साथ मिल
जुलकर निकले यहाँ तक कि जब ज़मीन ने (फसल की चीज़ों से) अपना बनाओ सिंगार
कर लिया और (हर तरह) आरास्ता हो गई और खेत वालों ने समझ लिया कि अब वह उस
पर यक़ीनन क़ाबू पा गए (जब चाहेंगे काट लेगे) यकायक हमारा हुक्म व अज़ाब
रात या दिन को आ पहुँचा तो हमने उस खेत को ऐसा साफ कटा हुआ बना दिया कि
गोया कुल उसमें कुछ था ही नहीं जो लोग ग़ौर व फिक्र करते हैं उनके वास्ते
हम आयतों को यूँ तफसीलदार बयान करते है (24)
और ख़ुदा तो आराम के घर (बेहाशत की तरफ बुलाता है और जिसको चाहता है सीधे रास्ते की हिदायत करता है (25)
जिन लोगों ने दुनिया में भलाई की उनके लिए (आखि़रत में भी) भलाई है
(बल्कि) और कुछ बढ़कर और न (गुनेहगारों की तरह) उनके चेहरों पर कालिक लगी
हुयी होगी और न (उन्हें जि़ल्लत होगी यही लोग जन्नती हैं कि उसमें हमेशा
रहा सहा करेंगे (26)
और जिन लोगों ने बुरे काम किए हैं तो गुनाह की सज़ा उसके बराबर है और उन
पर रुसवाई छाई होगी ख़ुदा (के अज़ाब) से उनका कोई बचाने वाला न होगा (उनके
मुह ऐसे काले होंगे) गोया उनके चेहरे यबों यज़ूर (अंधेरी रात) के टुकड़े से
ढक दिए गए हैं यही लोग जहन्नुमी हैं कि ये उसमें हमेषा रहेंगे (27)
(ऐ रसूल उस दिन से डराओ) जिस दिन सब को इकट्ठा करेगें-फिर मुशरेकीन से
कहेगें कि तुम और तुम्हारे (बनाए हुए ख़ुदा के) शरीक ज़रा अपनी जगह ठहरो
फिर हम वाहम उनमें फूट डाल देगें और उनके शररीक उनसे कहेंगे कि तुम तो
हमारी परसतिश करते न थे (28)
तो (अब) हमारे और तुम्हारे दरमियान गवाही के वास्ते ख़ुदा ही काफी है हम को तुम्हारी परसतिश की ख़बर ही न थी (29)
(ग़रज़) वहाँ हर शख़्स जो कुछ जिसने पहले (दुनिया में) किया है जाँच लेगा
और वह सब के सब अपने सच्चे मालिक ख़ुदा की बारगाह में लौटकर लाए जाएँगें
और (दुनिया में) जो कुछ इफ़तेरा परदाजि़या (झूठी बातें) करते थे सब उनके
पास से चल चंपत हो जाएगें (30)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
21 सितंबर 2023
और लोगों को जो तकलीफ पहुँची उसके बाद जब हमने अपनी रहमत का जाएक़ा चखा दिया तो यकायक उन लोगों से हमारी आयतों में हीले बाज़ी शुरू कर दी (ऐ रसूल) तुम कह दो कि तद्बीर में ख़ुदा सब से ज़्यादा तेज़ है तुम जो कुछ मक्कारी करते हो वह हमारे भेजे हुए (फरिशते) लिखते जाते हैं
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)