और जान लो कि जो कुछ तुम (माल लड़कर) लूटो तो उनमें का पाचवां हिस्सा
मख़सूस ख़़ुदा और रसूल और (रसूल के) क़राबतदारों और यतीमों और मिस्कीनों और
परदेसियों का है अगर तुम ख़ुदा पर और उस (ग़ैबी इमदाद) पर ईमान ला चुके हो
जो हमने ख़ास बन्दे (मोहम्मद) पर फ़ैसले के दिन (जंग बदर में) नाजि़ल की
थी जिस दिन (मुसलमानों और काफिरों की) दो जमाअतें बाहम गुथ गयी थी और
ख़़ुदा तो हर चीज़ पर क़ादिर है (41)
(ये वह वक़्त था) जब तुम (मैदाने जंग में मदीने के) क़रीब नाके पर थे और
वह कुफ़्फ़ार बईद (दूर के) के नाके पर और (काफि़ले के) सवार तुम से नषेब
में थे और अगर तुम एक दूसरे से (वक़्त की तक़रीर का) वायदा कर लेते हो तो
और वक़्त पर गड़बड़ कर देते मगर (ख़ुदा ने अचानक तुम लोगों को इकट्ठा कर
दिया ताकि जो बात सदनी (होनी) थी वह पूरी कर दिखाए ताकि जो शख़्स हलाक
(गुमराह) हो वह (हक़ की) हुज्जत तमाम होने के बाद हलाक हो और जो जि़न्दा
रहे वह हिदायत की हुज्जत तमाम होने के बाद जि़न्दा रहे और ख़ुदा यक़ीनी
सुनने वाला ख़बरदार है (42)
(ये वह वक़्त था) जब ख़़ुदा ने तुम्हें ख़्वाब में कुफ़्फ़ार को कम करके
दिखलाया था और अगर उनको तुम्हें ज़्यादा करते दिखलाता तुम यक़ीनन हिम्मत
हार देते और लड़ाई के बारे में झगड़ने लगते मगर ख़ुदा ने इसे (बदनामी) से
बचाया इसमें तो शक ही नहीं कि वह दिली ख़्यालात से वाकि़फ़ है (43)
(ये वह वक़्त था) जब तुम लोगों ने मुठभेड़ की तो ख़़ुदा ने तुम्हारी
आँखों में कुफ़्फ़ार को बहुत कम करके दिखलाया और उनकीआँखों में तुमको थोड़ा
कर दिया ताकि ख़ुदा को जो कुछ करना मंज़ूर था वह पूरा हो जाए और कुल बातों
का दारोमदार तो ख़ुदा ही पर है (44)
ऐ इमानदारों जब तुम किसी फौज से मुठभेड़ करो तो ख़बरदार अपने क़दम जमाए रहो और ख़ुदा को बहुंत याद करते रहो ताकि तुम फलाह पाओ (45)
और ख़़ुदा की और उसके रसूल की इताअत करो और आपस में झगड़ा न करो वरना तुम
हिम्मत हारोगे और तुम्हारी हवा उखड़ जाएगी और (जंग की तकलीफ़ को) झेल जाओ
(क्योंकि) ख़ुदा तो यक़ीनन सब्र करने वालों का साथी है (46)
और उन लोगों के ऐसे न हो जाओ जो इतराते हुए और लोगों के दिखलाने के
वास्ते अपने घरों से निकल खड़े हुए और लोगों को ख़ुदा की राह से रोकते हैं
और जो कुछ भी वह लोग करते हैं ख़़ुदा उस पर (हर तरह से) अहाता किए हुए है
(47)
और जब शैतान ने उनकी कारस्तानियों को उम्दा कर दिखाया और उनके कान में
फूंक दिया कि लोगों में आज कोई ऐसा नहीं जो तुम पर ग़ालिब आ सके और मै
तुम्हारा मददगार हूँ फिर जब दोनों लष्कर मुकाबिल हुए तो अपने उलटे पाव भाग
निकला और कहने लगा कि मै तो तुम से अलग हूँ मै वह चीजें देख रहा हूँ जो
तुम्हें नहीं सूझती मैं तो ख़ुदा से डरता हूँ और ख़ुदा बहुत सख़्त अज़ाब
वाला है (48)
(ये वक़्त था) जब मुनाफिक़ीन और जिन लोगों के दिल में (कुफ्र का) मजऱ्
है कह रहे थे कि उन मुसलमानों को उनके दीन ने धोके में डाल रखा है (कि
इतराते फिरते हैं हालाकि जो शख़्स ख़़ुदा पर भरोसा करता है (वह ग़ालिब रहता
है क्योंकि) ख़़ुदा तो यक़ीनन ग़ालिब और हिकमत वाला है (49)
और काश (ऐ रसूल) तुम देखते जब फ़रिश्ते काफि़रों की जान निकाल लेते थे और
रूख़ और पुश्त(पीठ) पर कोड़े मारते थे और (कहते थे कि) अज़ाब जहन्नुम के
मज़े चखों (50)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
06 सितंबर 2023
(ये वह वक़्त था) जब तुम लोगों ने मुठभेड़ की तो ख़़ुदा ने तुम्हारी आँखों में कुफ़्फ़ार को बहुत कम करके दिखलाया और उनकीआँखों में तुमको थोड़ा कर दिया ताकि ख़ुदा को जो कुछ करना मंज़ूर था वह पूरा हो जाए और कुल बातों का दारोमदार तो ख़ुदा ही पर है
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