6 घंटे जाम में फंसने के बाद भी ले आए दो दृष्टिहीनों के लिए रौशनी
2. हर तकलीफ छोटी है,नेत्रदान के कार्य के आगे
शाइन इंडिया फाउंडेशन के नेत्रदान अभियान को इसलिए सराहा जाता है कि,किसी भी तरह की विपरीत परिस्थितियों में भी इनकी टीम शोकाकुल परिवार की ओर से नेत्रदान के लिए संपर्क किए जाने पर, पुनीत कार्य को संपन्न करने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं ।
मंगलवार देर रात,हरीनगर झालावाड़ निवासी मूलचंद,नेमीचंद और हंसराज चोपड़ा की माता जी श्रीमती बसंती बाई चोपड़ा का आकस्मिक निधन हो गया । बसंती जी के भतीजे पारसमल जी और और उनके सुपुत्र नितिन कटारिया पिछले काफी समय से झालावाड़ में चल रहे शाइन इंडिया फाउंडेशन के नेत्रदान प्रकल्प से जुड़े हुए हैं ।
चोपड़ा परिवार के सभी सदस्य भी नेत्रदान के कार्यों से काफी प्रभावित हैं,इसलिए जैसे ही नितिन ने मूलचंद जी से माता जी के नेत्रदान करवाने के लिए अनुरोध किया,तो उन्होंने इस कार्य के लिए तुरंत ही परिवार के सभी सदस्यों की ओर से सहमति दे दी ।
सहमति मिलते ही नितिन जी ने तुरंत ही कोटा में ईबीएसआर-बीबीजे चैप्टर के कोऑर्डिनेटर डॉ० कुलवंत गौड़ को झालावाड़ में नैत्रदान लेने आने की सूचना दी,जिसके उपरांत कोटा से शाइन इंडिया फाउंडेशन के टेक्नीशियन उत्कर्ष मिश्रा ज्योति-रथ से रात 9:00 बजे कोटा से रवाना हुए,शहर से बाहर निकलते ही, दरा में तेज बारिश और काफ़ी लंबा जाम लग जाने के कारण पूरे 4 घंटे तक घनी बारिश में रास्ते में ही गाड़ी में बैठे-बैठे रास्ता खुलने का इंतजार करना पड़ा।
रात 2:00 बजे थोड़ा सा जाम क्लियर हुआ,तो 3:00 बजे झालावाड़ पहुंचकर माता जी के नैत्रदान का कार्य संपन्न हुआ। नेत्रदान के लिए शाइन इंडिया फाउंडेशन प्रारंभ से ही सभी तरह की विपरीत परिस्थितियों में होने पर भी अपना कार्य पूरा करके ही लौटता है, यही कारण है कि,न सिर्फ कोटा शहर बल्कि आसपास के क्षेत्र में भी नेत्रदान के कार्य को लेकर 200 किलोमीटर के दायरे तक संस्था के ऊपर सभी का विश्वास बना हुआ है । दो दृष्टिहीन लोगों की आंखों में रोशनी आ सके, इस उद्देश्य से लेकर कोटा से 160 किलोमीटर का सफर तय कर,टीम पूरा काम करके सुबह 6:00 बजे अपने निवास पर लौटी।
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