नफरत की दुकाने बंद करने के लिए सुर्प्रीमकोर्ट और ओरिजनल राष्ट्रभक्तों को , कठोर क़दम उठाने होंगे ,, मणिपुर हो , इसके पहले दूसरे राज्य हों वहां दंगे फसादात के मामले में , पुलिस और प्रशासन , नेताओं के क्या रुख है , दंगाइयों के मददगार , पीड़ितों के अत्याचार से इंकार वाले इनके कृत्यों से देश बिखर रहा है , और दंगाइयों के हौसले बुलंद है , सियासत से जुड़ कर राजनीति जब से होने लगी है , नफरत के नाम पर समाज , जातियों , धर्म को अलग अलग कर , जब वोटों में ,तब्दील कर सरकारें बनने लगी है , और भूख गरीबी , रोज़ी , रोटी , रोज़गार , उद्योग , विकास के मुद्दों को एक तरफ रख , सिर्फ नफरत , नफरत , नफरत , मज़हबी नफरत , समाजी नफरत , मज़हबी स्थलों के नाम पर , नाम बदलने के नाम पर , नारेबाजी के नाम पर , जुलूसों , के नाम पर , हेट स्पीच के नामा पर, , वायरल विडिओ के नाम पर, सोशल मिडिया पोस्टों के नाम पर देश भर के अलग अलग हिस्सों में , योजनाबद्ध तरीके से यह सब खुले आम हो रहा है , पुलिस सो रही है , प्रशासन सो रहा है , फिर चुनाव आने वाले है , फिर ऐसे राजनितिक वरदहस्त लोग , उनके इशारे पर, रोज़ी , रोटी , रोज़गार , के मुद्दों को , दबाने के लिए ,धर्मानधता के मुद्दों की तरफ बढ़ रहे हैं , सभी को अपना अपना धर्म , अपना अपना मज़हब मुबारक हो , लेकिन देश ने ,विश्व ने , धार्मिक आस्था से जुड़े लोगों ने देखा है , के नफरत के इस माहौल में , ईश्वर , अल्लाह , वाहेगुरु , जीसस , जो भी अदृश्य शक्ति है जो दुनिया का रचियता है , उसने बता दिया , के तुम्हारी इन , गंदी हरकतों से , मानवता के खिलाफ धर्म के नाम पर मारकाट , हिंसा की हरकतों से , ,अदृश्य शक्ति भी तुमसे नाराज़ है , पुरे दो साल तक , तुम्हारे मंदिरों , मस्जिदों , मज़ारो , गिरजाघरों , गुरुद्वारों के , दरवाज़े बंद रहे , ,सिर्फ प्रतीकात्मक पूजा, प्रतीकात्मक , नमाज़ , इबादत कहो , या पूजा प्रार्थना , अरदास कहो , होती रही , तो फिर इस संकेत को , इस अदृश्य शक्ति के इशारे को , यह दंगाई , यह बलवाई , यह सियासत के नाम पर नफरत फैलाकर, चुनावों में भूख , गरीबी , विकास , रोज़गार , जैसे गंभीर मुद्दों को , छुपाने , अपनी नाकामयाबी छुपाने के लिए जो , नफरत का माहौल बनाकर, ,धर्मानधता के नाम पर ,वोट बटोर कर , ऐश कर रहे हैं , उन्हें तिरस्कृत करो ना, जो समझदार लोग है , चाहे वोह एक प्रतिशत हों , अख़बार,, प्रिंट मिडिया , न्यूज़ चेनल्स , इलेक्ट्रोकनिक मिडिया में चाहे वोह आधा प्रतिशत हो , नौकरशाह , समाजसेवक , धर्म गुरुओं में , चाहे वोह दो तीन प्रतिशत हों , जहाँ भी , जिस क्षेत्र में जितने प्रतिशत भी लोग हों ,वोह तो इस देश को इस नफरत से बचाने के लिए आवाज़ उठाये , सुप्रीमकोर्ट थोड़ा सख्त सा नज़र आया है , लेकिन हेट स्पीच , नफरत के नारों पर पाबंदी , सरकारों के अधिकारीयों पर ज़िम्मेदारी डालने के बाद भी , आज तक कोई खबर ऐसी नहीं आई के नफरत को समर्थन करने वाले किसी लाइव ब्रॉडकास्ट न्यूज़ चेनल्स को प्रतिन्धित कर उसके मालिक , सम्पादक को जेल भेजा हो , जुलुस में , नफरत के नारे लगाने वालों को जेल भेजा हो , जुलुस प्रतिबंधित किया हो , ऐसी कोई खबर नहीं आई , एक दूसरे धर्म मज़हब को गालियां बकने वालों को किसी ने जेल भेजा हो , ,ऐसा उदाहरण नहीं मिला है , प्रेस कौंसिल हों , ,आयोग हो , ,खुद प्रधानमंत्री , राष्ट्रपति , राज्यपाल हों ,, ऐसे लोगों ने आज तक किसी भी नफरत के मामले में , अगर किसी ने संज्ञान लेकर , कोई कार्यवाही की हो तो बताएंगे , आम नागरिकों में , कुछेक को छोड़कर इस नफरत के माहौल में सुधार कैसे हो कोई अभियान भी चलाया गया हो तो बताएं , ,नहीं ना, तो फिर सुप्रीर्मकोर्ट ही एक सहारा है , सुप्रीमकोर्ट के आदेश की पालना चाहे पूरी सरकार ना कर सके , लेकिन एक मर्यादा का खौफ तो होता है , न्यूज़ चेनल्स , अख़बारों पर सुप्रीमकोर्ट के आदेश की खबर प्रसारित ,प्रकाशित करने की मजबूरी तो होती है , कुछ माहौल देश में नफरत के खिलाफ बनता तो है , खेर अब सुप्रीमकोर्ट ने इस मामले में , नफरत के खिलाफ कमान अपने हाथों में ली है , ,, नोटिस जारी हुए है , जुलूसों पर प्रतिबंध से तो इंकार कर दिया, लेकिन , अधिकारीयों पर ,, सरकार पर दबाव बनाया है , ,तो यह अधिकारी , यह सरकारें तो पहले से ही हैं , इनकी ढीलमपोल , कहो , मिली भगत कहो , लापरवाही कहो , इसी वजह से तो यह नफरत बढ़ रही है , फिर नफरत बाज़ आगे चलकर ,विधायक , सांसद बन रहे हैं , सरकार का हिस्सा बन रहे हैं , वोह घर बैठे लोगों को , आई ऐ एस केडर बुला कर दे रहे हैं , वकीलों को , जजों का दर्जा दे रहे हैं , जजों को , राज्यसभा सदसय का दर्जा दे रहे है तो फिर देश की जनता को राष्ट्र को बचाने के लिए , नफरत के माहौल से बचाने के लिए आगे होना होगा, सुप्रीमकोर्ट को केंद्र सरकार पर दबाव बनाना होगा , , जिस राजय में दंगा हो वहां तुरंत पूरी सरकार बर्खास्त होगी , जैसे , दंगे के खिलाफ पॉलिसी में कलेक्टर और एस पी बदलने का नियम है , ऐसे में राज्यु में , दंगा होने पर , किसी भी ज़िले में दंगा होने ,पर मुख्यमंत्री बदलने , सरकार के सभी मंत्री बदलने , का नियम बने , और अगर एक साथ दो तीन ज़िलों में, ु योजनाबद्ध दंगा हो तो ऑटोमेटिक , मुख्यमंत्री सहित पूरी सरकार की बर्खास्तगी , का नियम हो ,, , चुनाव के छह महीने पहले ,, किसी भी धर्म , समाज के जुलूसों पर पाबंदी हो ,, धार्मिक नफरत बाज़ , चाहे वोह नारेबाज हो , तलवारबाज़ हों , बलात्कारी हों , पत्थरबाज हों , तोड़फोड़ करने वाले हों , धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाने वाले हों , बस्तियां जलाने वाले हों , महिलाओं पर निर्वस्त्र कर अत्याचार करने वाले हों , आजीवन उनके निर्वाचन पर , उनके वोटिंग पर , पाबंदी लगाकर उन्हें अलग थलग करके , आजीवन कारावास , ऐसा आजीवन कारावास , ऐसा मृत्युदंड जो , अंतिम समय तक की जेल हो , और इसमें केंद्र सरकार हो , राज्य सरकार हो , उन्हें किसी भी सूरत में अच्छे चाल चलन के नाम पर माफ़ी का अधिकार ही ना हो ,, जो लोग नफरत फैलाकर , चुनाव के कार्यर्कताओं को , तय्यार करते हैं ,प्रचारक होते हैं , उनके खिलाफ बर्खास्तगी , निर्वाचन से अयोग्य करने की कार्यवाही हो ,, , अबआप कहेंगे के यह तो सब पहले से ही हमारे देश के क़ानून में लिखा है , लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम में लिखा है , तो फिर , वो ही तो , क़ानून तो है ,, लेकिन यह लोग , इस्तेमाल पिक ऐंड चूज़ के हिसाब से कर रहे हैं , तो फिर , सुप्रीमकोर्ट को अपने नियंत्रित , केंद्र , राज्य , ,जिला, क़स्बा स्तर पर, अपने नियंत्रित अधकारियों के साथ , ऐसे उलंग्घन पर, , खुद जांच करने और सरकार को बर्खास्त कर, नए चुनाव कराने का अधिकार हो , निर्वाचन अधिकारी भी , सुप्रीमकोर्ट के नियंत्रित हो , ,नहीं तो यह तो देश को ले डूबेंगे , मेरा भारत महान जो बना हुआ है , नफरत के बाज़ार में इसे नीलाम करने की कोशिशों में लगे रहेंगे, , , ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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