बेशक जिन लोगों ने अपनी औलाद को बे समझे बूझे बेवकूफी से मार डाला और जो
रोज़ी ख़ुदा ने उन्हें दी थी उसे ख़ुदा पर इफ़तेरा (बोहतान) बाँध कर अपने
ऊपर हराम कर डाला और वह सख़्त घाटे में है ये यक़ीनन राहे हक़ से भटक गऐ और
ये हिदायत पाने वाले थे भी नहीं (141)
और वह तो वही ख़ुदा है जिसने बहुतेरे बाग़ पैदा किए (जिनमें मुख़्तलिफ
दरख़्त हैं - कुछ तो अंगूर की तरह टट्टियों पर) चढ़ाए हुए और (कुछ) बे
चढ़ाए हुए और खजूर के दरख़्त और खेती जिसमें फल मुख़्तलिफ़ किस्म के हैं और
ज़ैतून और अनार बाज़ तो सूरत रंग मज़े में, मिलते जुलते और (बाज़) बेमेल
(लोगों) जब ये चीज़े फलें तो उनका फल खाओ और उन चीज़ों के काटने के दिन
ख़ुदा का हक़ (ज़कात) दे दो और ख़बरदार फज़ूल ख़र्ची न करो - क्यों कि वह
(ख़ुदा) फुज़ूल ख़र्चे से हरगिज़ उलफत नहीं रखता (142)
और चारपायों में से कुछ तो बोझ उठाने वाले (बड़े बड़े) और कुछ ज़मीन से
लगे हुए (छोटे छोटे) पैदा किए ख़ुदा ने जो तुम्हें रोज़ी दी है उस में से
खाओ और शैतान के क़दम ब क़दम न चलो (143)
(क्यों कि) वह तो यक़ीनन तुम्हारा खुला हुआ दुश्मन है (ख़ुदा ने नर मादा
मिलाकर) आठ (कि़स्म के) जोड़े पैदा किए हैं - भेड़ से (नर मादा) दो और बकरी
से (नर मादा) दो (ऐ रसूल उन काफिरों से) पूछो तो कि ख़ुदा ने (उन दोनों
भेड़ बकरी के) दोनों नरों को हराम कर दिया है या उन दोनों मादनियों को या
उस बच्चे को जो उन दोनों मादनियों के पेट से अन्दर लिए हुए हैं (144)
अगर तुम सच्चे हो तो ज़रा समझ के मुझे बताओ और ऊँट के (नर मादा) दो और
गाय के (नर मादा) दो (ऐ रसूल तुम उनसे) पूछो कि ख़ुदा ने उन दोनों (ऊँट गाय
के) नरों को हराम किया या दोनों मदनियों को या उस बच्चे को जो दोनों
मादनियों के पेट अपने अन्दर लिये हुए है क्या जिस वक्त ख़ुदा ने तुमको उसका
हुक्म दिया था तुम उस वक़्त मौजूद थे फिर जो ख़ुदा पर झूठ बोताहन बाधें
उससे ज़्यादा ज़ालिम कौन होगा ताकि लोगों के वे समझे बूझे गुमराह करें
ख़ुदा हरगिज़ ज़ालिम क़ौम में मंजि़ले मक़सूद तक नहीं पहुचाता (145)
(ऐ रसूल) तुम कहो कि मै तो जो (क़ुरान) मेरे पास वही के तौर पर आया है
उसमें कोई चीज़ किसी खाने वाले पर जो उसको खाए हराम नहीं पाता मगर जबकि वह
मुर्दा या बहता हुआ ख़़ून या सूअर का गोश्त हो तो बेशक ये (चीजे़) नापाक और
हराम हैं या (वह जानवर) नाफरमानी का बाएस हो कि (वक़्ते जि़बहा) ख़ुदा के
सिवा किसी और का नाम लिया गया हो फिर जो शख़्स (हर तरह) बेबस हो जाए (और)
नाफरमान व सरकश न हो और इस हालत में खाए तो अलबत्ता तुम्हारा परवरदिगार
बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है (146)
और हमने यहूदियों पर तमाम नाख़ूनदार जानवर हराम कर दिये थे और गाय और
बकरी दोनों की चरबियां भी उन पर हराम कर दी थी मगर जो चरबी उनकी दोनों पीठ
या आतों पर लगी हो या हड्डी से मिली हुयी हो (वह हलाल थी) ये हमने उन्हें
उनकी सरक़षी की सज़ा दी थी और उसमें तो षक ही नहीं कि हम ज़रूर सच्चे हैं
(147)
(ऐ रसूल) पर अगर वह तुम्हें झुठलाए तो तुम (जवाब) में कहो कि (अगरचे)
तुम्हारा परवरदिगार बड़ी वसीह रहमत वाला है मगर उसका अज़ाब गुनाहगार लोगों
से टलता भी नहीं (148)
अनक़रीब मुशरेकीन कहेंगें कि अगर ख़ुदा चाहता तो न हम लोग शिर्क करते और न
हमारे बाप दादा और न हम कोई चीज़ अपने ऊपर हराम करते उसी तरह (बातें बना
बना के) जो लोग उनसे पहले हो गुज़रे हैं (पैग़म्बरों को) झुठलाते रहे यहाँ
तक कि उन लोगों ने हमारे अज़ाब (के मज़े) को चख़ा (ऐ रसूल) तुम कहो कि
तुम्हारे पास कोई दलील है (अगर है) तो हमारे (दिखाने के) वास्ते उसको
निकालो (दलील तो क्या) पेश करोगे तुम लोग तो सिर्फ अपने ख़्याल ख़़ाम की
पैरवी करते हो और सिर्फ अटकल पच्चू बातें करते हो (149)
(ऐ रसूल) तुम कहो कि (अब तुम्हारे पास कोई दलील नहीं है) ख़ुदा तक पहुंचाने वाली दलील ख़ुदा ही के लिए ख़ास है (150)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
10 अगस्त 2023
(ऐ रसूल) तुम कहो कि (अब तुम्हारे पास कोई दलील नहीं है) ख़ुदा तक पहुंचाने वाली दलील ख़ुदा ही के लिए ख़ास है
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